शास्त्रों के अनुसार, आत्महत्या करने के बाद आत्मा के साथ होता हैं कुछ ऐसा जिसे सुन पाना बेहद मुश्किल
वर्तमान समय में जिंदगी में इतनी ज्यादा भागदौड़ हो गई है कि हर कोई आगे निकलने के चक्कर में जोरों से लगा रहता है और अगर कोई रेस में पिछड़ जाता है तो वह इतना गिर जाता है कि उसे अपने जीवन को त्यागने के सिवाय कोई विकल्प ही नहीं दिखता है।
आत्महत्या, समाज का कड़वा सच है जिसके कई कारण हो सकते हैं- वित्तीय, मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशानी होने पर व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है।
कई बार किसी अपने के खो जाने का ग़म भी इतना ज्यादा होता है कि व्यक्ति को नीरसता लगने लगती है और वह अपना जीवन त्याग देता है।
हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक पुराण, गरूण पुराण में मृत्यु के हर रूप और उसके बाद के जीवन के बारे में वर्णन किया गया है। आत्महत्या को लेकर भी उसमें काफी कुछ वर्णन है।
हर कोई जानना चाहता है कि आत्महत्या करने वाले को कहां स्थान मिलता होगा, स्वर्ग में या नर्क में; या फिर उसे कहीं और जाना होता होगा। ऐसे कई सवालों के उत्तर हम आपको इस लेख में देने का प्रयास करेंगे, जो कि निम्न प्रकार है:
क्या होता है आत्मा के साथ?
यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है इस बारे में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थेसोफिस्ट हेलेना पेत्रोवा का कहना है कि आत्महत्यासबसे बुरा अपराध होता है और इसका परिणाम, बेहद सख्त होता है। वहीं इस बारे में मास्टर कुट हूमी का कहना है कि जो लोग आत्महत्या कर लेते हैं इसका मतलब यह नहीं कि वह पूरी तरह से मर गए, लेकिन इसका सिर्फ यह अर्थ होता है कि उस व्यक्ति को शारीरिक रूप से कोई कष्ट अब इस संसार में नहीं रह गया। आत्महत्या एक निंदनीय कार्य है जिसमें व्यक्ति संघर्ष करने से घबराकर जान देना उचित समझता है।
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भारतीय समाज में आत्महत्या को हेय दृष्टि से देखा जाता है। जिस परिवार में कोई सदस्य आत्महत्या कर लेता है उस परिवार को भावनात्मक आघात लगता है और सामाजिक कलंक भी लग जाता है। लोग अक्सर परिवार में ही दोष देखने लग जाते हैं। हिंदू धर्म में आत्महत्या को निंदनीय माना जाता है, क्योंकि धर्म के अनुसार कई योनियों के बाद मानव जीवन मिलता है ऐसे में उसे व्यर्थ गंवा देना ही बेवकूफी है।