आखिर कब कैसे शुरु हुई मांग में सिंदूर लगाने कि प्रथा…

हमारे हिंदू धर्म में कई मान्यताएं जो पुराने समय से आज भी चलती आ रह है। इनमे से एक महिलाओं की सिंदूर लगाने की परम्परा। मान्यता है कि भगवान ने वीरा और धीरा नाम के दो युवक और युवती को बनाया और उनको खूबसूरती भी सबसे अधिक दी। एक बार वीरा घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। वीरा को घायल कर कालिया काफी खुश हुआ जिसकी हंसी की आवाज सुनकर धीरा ने चुपके से कालिया पर हमला बोल दिया। इस वीरता को देख वीरा ने धीरा की मांग अपने खून से भर दी। इसी समय से मांग में सिंदूर भरने की प्रथा शुरू हो गई।

मांग में सिंदूर लगाने की परम्परा:

हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से देवी पार्वती ‘अखंड सौभागयवती’ होने का आशीर्वाद देती हैं। कहते है महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं।

हिंदू समाज में सती या पार्वती को आदर्श पत्नी के रूप में माना जाता है और लाल रंग को इनका प्रतीक माना जाता है, इसलिए महिलाएं सिंदूर लगाती है।

सिंदूर शादी के बाद लगाया जाता है क्योंकि ये रक्त संचार के साथ ही यौन क्षमताओं को भी बढ़ाने का भी काम करता है। मांग में सिंदूर लगाने से पती-पत्नी के बीच हमेशा मजूबत संबंध बना रहता है।

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