बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा मिलावटी शहद

-सोने लाल वर्मा

शहद में मिलावट का गोरखधंधा और इसमें बड़े पैमाने पर मिलाटी कालाबाजारी चल रही है। CSE की ओर से बुधवार को शहर की मिलावट को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें बताया गया था कि आजकल कई बड़ें ब्रांड शहद में मिलावट कर रहे हैं। यह हालत सिर्फ सड़क किनारे बैठे भगोने में बिकने वाले शहद की नहीं, बल्कि नामी गिरामी ब्रांडेड शहद की भी है। यह खुलासा सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरामेंट (CSE) ने किया है।

लोगों के साथ हो रही मिलावट खाद्य धोखाधड़ी

CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रांडों में जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप (Sugar syrup) की मिलावट हो रही है। वहीं, सुनीता नारायण का कहना है कि शहर में शुगर सिरप की मिलावट खाद्य धोखाधड़ी (Food Fraud) है। यह 2003 और 2006 में सीएसई द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है।

पतंजलि ने क्या कहा?

खबर का खंडन करते हुए डाबर और पतंजलि ने कहा कि यह दावे प्रेरित लगते हैं और इनका लक्ष्य कंपनी की छवि को खराब करना है। इसके अलावा कंपनियों ने कहा कि उनकी तरफ से बेचे जा रहे शहर पूरी तरह से असली हैं। इसके साथ ही उनको प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है और इसमें किसी भी तरह की चीनी की मिलावट नहीं की जाती है।

77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट

लोग इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। ऐसे कठिन समय में भोजन में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (Overuse) हालात को और भयावह बना देगा। रिपोर्ट में भारत और जर्मनी की प्रयोगशाला में हुए अध्ययनों पर आधारित है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा की गई यह गहरी पड़ताल बताती है कि भारत के सभी प्रमुख ब्रांड के शहद में जबरदस्त मिलावट की जा रही है।

77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए। उनका कहना है कि शहद के शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिए मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता, क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं जो भारतीय जांच मानकों को आसानी से खरे उतरते हैं।

13 शीर्ष और छोटे ब्रांड वाले प्रोसेस्ड शहद को चुना। इन ब्रांड के नमूनों को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) में जांचा गया। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं। लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए। एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था।

खोज में यह तथ्य मिलने का किया था दावा

  • 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए।
  • कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए।
  • शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए
  • 13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए।
  • भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के
  • बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी।

सुनीता नारायण ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था। यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता हैं। हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके, बड़ी—बड़ी ब्रांडेड कंपनियों का शहद हम बड़ी ही शौक से खाते हैं जबकि इसमें पूर्णतय: मिलावट है। उदाहरण के लिए, हम अक्सर मानते हैं कि यदि शहद क्रिस्टलीकृत होता है तो यह शहद नहीं है। यह सही नहीं है। हमें शहद के स्वाद, गंध और रंग को सीखना शुरू करना चाहिए जो कि प्राकृतिक है।

नारायण ने कहा कि हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें। लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है। असल में यह हमें और खतरे में डाल रहा है। वहीं दूसरी तरफ हमें और अधिक चिंतित होना चाहिए क्योंकि मधुमक्खियों को खोकर हम अपनी खाद्य प्रणाली को खत्म कर देंगे। यह मधुमक्खियां परागण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, यदि शहद में मिलावट होगी तो हम सिर्फ अपनी सेहत नहीं खोएंगे, बल्कि हमारी कृषि की उत्पादकता भी खो देंगे।

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