04 या 05 दिसंबर, कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा?

सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। साल 2026 के आखिरी महीने दिसंबर की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में साल की आखिरी पूर्णिमा मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन साधना करने से साधक के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और श्रीहरि की कृपा से बिगड़े काम पूरे होते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार साल की आखिरी पूर्णिमा 04 दिसंबर को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 04 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का समापन- 05 दिसंबर को 04 बजकर 43 मिनट पर

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 04 बजकर 58 मिनट तक है। इस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान का महत्व
सनातन धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने के बाद श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करना चाहिए। इससे जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है और धन-अन्न के भंडार भरे रहते हैं।

करें इन चीजों का दान
आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए पूर्णिमा के दिन गुड़ का दान करना फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मंदिर या गरीब लोगों में गुड़ का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है।

भूलकर भी न करें ये गलतियां
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन कई बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न करने से साधक को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें क्योंकि मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर ही होता है। तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

पूजा के दौरान काले रंग के कपड़े धारण न करें।

भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥

विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

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