वृश्चिक संक्रांति के दिन इन चीजों के दान से मिलेगा सूर्य देव का आशीर्वाद

जब सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस दिन को वृश्चिक संक्रांति के रूप में जाना जाता है। माना गया है कि इस दिन पर गरीबों और जरूरतमंदों के बीच दान करने से साधक को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। चलिए जानते हैं इस बारे में।
सूर्य देव एक राशि में 1 महीने तक रहते हैं और जब वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस दिन को संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में 16 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति (Vrishchik Sankranti 2025) मनाई जाएगी। अगर आप इस दिन पर कुछ विशेष दान करते हैं, तो इससे आपको सूर्य देव की कृपा मिल सकती है, और करियर में लाभ के योग बनते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप वृश्चिक संक्रांति पर किन चीजों का दान कर सकते हैं।
इस तरह करें दान
सूर्य देव से संबंधित चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पर किए गए दान से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वृश्चिक संक्रांति के दिन स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही दान करना चाहिए। यदि संभव हो तो आप इस दिन पर सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान भी कर सकते हैं।
इसके स्थान पर आप पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है और जीवन में नई संभावनाएं खुलती हैं। वृश्चिक संक्रांति के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
वृश्चिक संक्रांति पुण्य काल – सुबह 7 बजकर 45 मिनट से दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक
वृश्चिक संक्रांति महा पुण्य काल – सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक
करें इन चीजों का दान
वृश्चिक संक्रांति के दिन आप लाल रंग के चंदन, फल, वस्त्र और फूल आदि का दान कर सकते हैं। इसी के साथ गरीबों व जरूरतमंद लोगों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार, गेहूं, केसर, और गुड़ आदि का भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। इसी के साथ वृश्चिक संक्रांति के दिन तिल का दान करना भी बेहद शुभ माना गया है। इससे साधक को जीवन में अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं।
भूल से भी न करें इस तरह का दान
वृश्चिक संक्रांति के दिन इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि दान में कभी भी फटे-पुराने कपड़ों व जूतों आदि का दान नहीं करना चाहिए। इससे आपको बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। यदि आप भोजन का दान कर रहे हैं, तो वह पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए, वरना आपको दान का पुण्य फल नहीं मिलता।





