दुनिया की 50 सबसे स्वादिष्ट डिशेज में डोसा ने बनाई अपनी जगह

सुनहरी-करारी परत के भीतर आलू मसाले की गर्माहट और साथ में सांबर व नारियल चटनी की खुशबू यही है मसाला डोसा | दक्षिण भारत की थाली से निकलकर दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ व्यंजनों की सूची में शामिल डोसा ने कैसे परंपरा को जायके में बदल दिया, बता रहे हैं डॉ. एम.सी. वशिष्ठ।
दक्षिण भारत का लोकप्रिय व्यंजन मसाला डोसा आज हर शहर और कस्बे में अपना स्वाद बिखेर रहा है। इसे अंतरराष्ट्रीय समाचार संस्थान सीएनएन ‘दुनिया के 50 सर्वश्रेष्ठ व्यंजनों में से एक’ की सूची में शामिल कर चुका है।
स्वाद की विविधता
मसाला डोसा का स्वाद हर क्षेत्र, हर शहर और यहां तक कि हर रेस्त्रां में थोड़ा बदल जाता है कहीं आलू की भरावन अधिक होती है, तो कहीं इसमें चुकंदर की मिठास और रंगत झलकती है रेस्त्रां में मसाला डोसा अक्सर बड़े आकार में परोसा जाता है-कभी त्रिकोण, तो कभी लंबे रोल के रूप में डोसा की तमाम किस्मों में मसाला डोस सबसे लोकप्रिय है आज छोटे-बड़े हर शहर में ऐसे अनेक रेस्त्रां हैं जहां डोसा की कई किस्में परोसी जाती हैं- जैसे मुट्टा (अंडा) डोसा, बेने डोसा, नीर डोसा, चिकन डोसा आदि। फिर भी, इन सभी में मसाला डोसा ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला और सबसे आसानी से उपलब्ध डोसा है।
मसाला डोसा के साथ आमतौर पर सांबर और चटनी परोसी जाती है। यह इस व्यंजन के स्वाद को कई गुणा बढ़ा देती है। भारतीय उपमहाद्वीप की पारंपरिक देन मानी जाने वाली यह चटनी आज पूरी दुनिया में पसंद की जाती है यह कभी मिर्च और मसालों की तीखी तासीर लिए होती है, तो कभी हरी धनिया की ताजगी और नारियल की कोमलता से भरपूर कई बार इसमें सिरका या गुड़ जैसी मिठास का हल्का स्पर्श भी जोड़ा जाता है।
पौष्टिकता का खजाना
यह व्यंजन सिर्फ स्वादिष्ट नहीं, बल्कि पौष्टिक भी होता है। मसाला डोसा में चावल से कार्बोहाइड्रेट, उड़द की दाल से प्रोटीन, आलू से ऊर्जा और करी पत्ते व मसालों से विटामिन व खनिज मिलते हैं। इसके घोल की खमीर प्रक्रिया इसे सुपाच्य बनाती है।
मसाला डोसा की लोकप्रियता का श्रेय प्रसिद्ध रेस्त्रां चेन उडुपी के मालिक के. कृष्ण राव को जाता है। इसकी शुरुआत कर्नाटक के तुलुनाडु क्षेत्र से हुई। इसके साथ ही, सरवणा भवन के संस्थापक पी. राजगोपाल ने इस व्यंजन को दुनियाभर में पहचान दिलाई। उन्होंने एक छोटे से रेस्त्रां से शुरुआत करके तीन हजार करोड़ रुपये का दक्षिण भारतीय भोजन साम्राज्य खड़ा किया और ‘डोसा किंग’ कहलाए। कृष्ण राव ने जब मसाला डोसा को मुंबई जैसे शहरों तक पहुंचाया, तो यह सिर्फ भोजन नहीं रहा, बल्कि दक्षिण भारत की संस्कृति का प्रतीक बन गया।
संस्कृति की खुशबू
आज मसाला डोसा सिर्फ एक पकवान नहीं, बल्कि दक्षिण भारत की समृद्ध पाक परंपरा का जीवंत प्रतीक है। चाहे वह केरल के किसी परंपरागत घर की रसोई हो, बेगलुरू का सड़क किनारे टिफिन सेंटर, या लंदन का कोई शाही रेस्त्रां मसाला डोसा अपने करारे स्वाद और सुकून से हर दिल जीत लेता है।
ऐसे होगा स्वाद दोगुणा
चावल और उड़द की दाल को रात भर भिगोकर रखने के बाद पीसे और फिर खमीर उठने दें।
तवे का तापमान सही स्तर तक गर्म होने के बाद ही घोल की पतली परत फैलाएं।
इस पारंपरिक घोल मे आमतौर पर आये उबले चावल, पोहा और उड़द, अरहर या चना दाल भी मिला सकते हैं।
स्वाद के लिए थोड़ी मेथी और सूखी लाल मिर्च भी मिला सकते है।





