नवमी या दशहरा कब करें शारदीय नवरात्र का पारण?

हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही शारदीय नवरात्र का व्रत रखा जाता है। शारदीय नवरात्र का पारण नवमी और दशमी दोनों दिन किया जाता है।
शारदीय नवरात्र का पावन पर्व माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना और शक्ति के सम्मान में मनाया जाता है। यह नौ दिन का उत्सव न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि साधकों के लिए साहस, मानसिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर भी है।
इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं और देवी के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत के दौरान संयम, भक्ति और ध्यान का पालन करना शुभ माना जाता है, और नवरात्र के अंत में व्रत खोलना भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। इस साल 22 सितंबर से लेकर 01 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। इसके अगले दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा मनाया जाएगा।
साधक श्रद्धा भाव से शारदीय नवरात्र के दिन जगत जननी आदिशक्ति देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है।
नवमी के दिन व्रत खोलना
यदि आपने व्रत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पूरे नौ दिन रखा है, तो पारंपरिक रूप से इसे नवमी के दिन खोलना शुभ माना जाता है। नवमी का दिन व्रत का समापन और देवी दुर्गा की अष्टमी के बाद की आराधना का प्रतीक होता है। नवमी को व्रत खोलते समय साधक विशेष ध्यान और भक्ति के साथ देवी के चरणों में प्रार्थना करता है और आभार व्यक्त करता है।
दशहरा के दिन व्रत खोलना
कई भक्त व्रत दशहरा (विजयादशमी) के दिन भी खोलते हैं। यह दिन माता दुर्गा की महाविजय और रावण पर श्रीराम की विजय के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इसे भी अत्यंत शुभ माना जाता है। दशहरा के दिन व्रत खोलने से जीवन में शक्ति, साहस और सफलता का संचार होने की मान्यता है।
दोनों ही दिन खोलना उचित
नवरात्र का व्रत नवमी या दशहरा दोनों ही दिन खोला जा सकता है। नवमी का दिन पारंपरिक रूप से अधिक प्रचलित है, जबकि दशहरा का दिन भी धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत खोलते समय शुद्ध हृदय से देवी की आराधना करना और प्रसाद का वितरण करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।