बड़ी खबर: मीरा कुमार के भाई के सेक्स स्कैंडल का बड़ा पर्दाफाश

कम लोगों को पता है कि दलितों की हितैषी होने का दंभ भरने वाली कांग्रेस पार्टी ने कभी मीरा कुमार के पिता बाबू जगजीवन राम को कथित तौर पर साजिश का शिकार बनाया था। ये 1978 की बात है। आपातकाल (National Emergency) खत्म होने के बाद हुए चुनावों में जनता पार्टी की सरकार बनी थी। उस वक्त के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कैबिनेट में बाबू जगजीवन राम रक्षा मंत्री थे। उस दौर में वो अगले प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़े दावेदार भी माने जाते थे। लेकिन तभी उनके साथ एक ऐसी साजिश हुई कि सारी सियासी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

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बेटा सेक्स स्कैंडल में फंसा : उस वक्त जगजीवन राम के बेटे और मीरा कुमार के सगे भाई सुरेश राम की उनकी प्रेमिका सुषमा चौधरी के साथ यौन रिश्तों की तस्वीरें एक मैगजीन में छप गईं। इससे इतना बड़ा हंगामा खड़ा हुआ कि सियासी तौर पर उस वक्त के सबसे मजबूत नेता जगजीवन राम अचानक बेहद कमजोर हो गए। ‘सूर्या’ नाम की जिस मैगजीन में ये तस्वीरें छपीं थीं उसकी संपादक संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी हुआ करती थीं। तब जगजीवन राम के करीबी और आज जनता दल यूनाइटेड के नेता केसी त्यागी ने इस कांड में खलनायक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने मीडिया और सियासत की ताकत का इस्तेमाल करके सुरेश और सुषमा को जाल में फंसाया था। माना जाता है कि जगजीवन राम के साथ ये साजिश इंदिरा गांधी के इशारे पर की गई थी। जगजीवन राम देश के पहले दलित प्रधानमंत्री होते, लेकिन कांग्रेस की साजिश ने ऐसा नहीं होने दिया। इस कांड के बाद उन्हें कैबिनेट से भी इस्तीफा देना पड़ा था।

बिगड़ैल किस्म का था सुरेश : माना जाता है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के सत्यवती कॉलेज में ग्रेजुएशन की छात्रा 21 साल की सुषमा चौधरी और सुरेश राम के बीच अफेयर था। लेकिन एक साजिश के तहत दोनों को फंसाकर ये तस्वीरें ली गईं। तस्वीरें छपने के बाद सुरेश राम ने पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई। उनका दावा था कि वो अपनी महिला मित्र के साथ मर्सिडीज कार में बैठे थे, तभी दो टैक्सी पर सवार 10 हथियारबंद लोगों ने उनकी गाड़ी को रोक दिया। 21 अगस्त 1978 को यह घटना हुई थी। पुलिस ने 25 अगस्त को इस मामले में ओमप्रकाश और केसी त्यागी नाम के दो लोगों को गिरफ्तार किया था। ओमप्रकाश किसान सम्मेलन का ऑफिस सेक्रेटरी था और केसी त्यागी युवा जनता पार्टी का महासचिव। जी हां, ये केसी त्यागी वही हैं जो आजकल नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता हैं। यह सच है कि सुरेश राम बिगड़ैल औलाद हुआ करते थे। वो शराबी थे और पत्नी के साथ उनके रिश्ते ठीक नहीं थे। सुषमा चौधरी उनकी सबसे करीबी दोस्त हुआ करती थी और दोनों के बीच कई लव-लेटर भी तब सामने आए थे।

कौन थी सुषमा चौधरी? : सुषमा लोअर मिडिल क्लास जाट परिवार की लड़की थी। वो बड़ी खूबसूरत और बेहद महत्वाकांक्षी थी। उसे जानने वालों के मुताबिक सुषमा काफी ऊंची उड़ान भरना चाहती थी। तब वो अपने घर से कॉलेज तक आने-जाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर लंबी कारों वाले अनजान लोगों से लिफ्ट लिया करती थी। सुषमा के परिवार वालों का कहना था कि सुरेश राम के साथ उसकी शादी भी हो गई थी और वह जगजीवन राम के साथ ही उनके 6, कृष्ण मेनन मार्ग वाले सरकारी बंगले पर रहती थी। सुरेश राम ने अपनी बीवी को तलाक नहीं दिया था और इस कांड के सामने आने के बाद उन्हें अपने पिता का बंगला छोड़ना पड़ा था। इस बंगले पर आजकल मीरा कुमार का कब्जा है। उन्होंने इसे अपने पिता का स्मारक बना दिया है।

इंदिरा के रास्ते का कांटा हटा : जगजीवन राम जैसे लोकप्रिय नेता के पतन से इंदिरा गांधी के रास्ते का कांटा साफ हो गया था। क्योंकि अब वो आराम से अपनी कठपुतली के तौर पर चौधरी चरण सिंह को कुर्सी पर बिठा सकती थीं। ये खेल इतनी सावधानी से रचा गया था कि सबको यही लगा कि जगजीवन राम के खिलाफ साजिश चौधरी चरण सिंह ने ही की होगी। कहते हैं कि चौधरी चरण सिंह को भी इसमें शामिल किया गया था। मामला सामने आने के बाद कई महीनों तक जगजीवन राम की फजीहत होती रही थी। सरकार के इशारे पर पुलिस कभी सुरेश राम की चिट्ठियां मीडिया में जारी कर देती तो कभी उनके घर में मिली ढेरों अश्लील तस्वीरें।

सत्ता के लिए बलि बने ‘दलित’ : उस दौर के कई वरिष्ठ पत्रकार भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि सारा खेल वास्तव में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में स्थापित करने के मकसद से खेला गया था। वरिष्ठ पत्रकार इंदर मल्होत्रा उन दिनों एक अंग्रेजी अखबार के संपादक थे। उन्होंने बताया था कि सुरेश राम की तस्वीरें उनके अखबार को भी भेजी गई थीं, पर उन्होंने इन्हें किसी के निजी जीवन में हस्तक्षेप मानते हुए छापने से इनकार कर दिया था। लेकिन जिस तरह से उन्हें लिया गया था, उससे साफ था कि ये सियासी साजिश से ज्यादा कुछ नहीं। इंदर मल्होत्रा कहते हैं कि “उस वक्त तक जनता पार्टी में पूरी तरह बिखर चुकी थी। मोरारजी देसाई के बाद जगजीवन राम का नाम पक्का था। इंदिरा गांधी नहीं चाहती थीं कि जगजीवन राम जैसा कोई लोकप्रिय और मजबूत नेता इस पद पर बैठे।”

सेक्स स्कैंडल का कांग्रेसी खेल! : उन दिनों कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड के संपादक खुशवंत सिंह ने एक जगह जिक्र किया है कि एक बार मेनका गांधी की मां अमतेश्वर आनंद और वकील इंदिरा जयसिंह उनसे मिलने आईं और कहा था कि वो ‘सूर्या’ के प्रकाशन में मेनका की मदद करें। खुशवंत सिंह कहते हैं कि एक दोपहर जब वे नेशनल हेराल्ड के अपने ऑफिस पहुंचे तो मेज पर एक लिफाफा पड़ा देखा। जब उन्होंने लिफाफा खोला तो उसमें कई तस्वीरें थीं। उन्होंने देखते ही पहचान लिया कि तस्वीरों में जो शख्स है वो जगजीवन राम का बेटा सुरेश राम है। खुशवंत सिंह कहते हैं कि “कामसूत्र में 64 तस्वीरें होती हैं, पर यहां 10 थीं।” उसी शाम उनके पास जगजीवन राम का एक आदमी आया और उसने कहा कि अगर ये तस्वीरें न छापी जाएं तो बाबू जी मोरारजी को छोड़कर इंदिरा गांधी के साथ आ जाएंगे। खुशवंत सिंह ने यह संदेश इंदिरा गांधी तक पहुंचा दिया। इंदिरा गांधी का कहना था कि पहले वो मोरारजी को छोड़ें। जब तक ऐसा नहीं करते, तस्वीरें नहीं छापने की गारंटी नहीं दी जा सकती।

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तस्वीरें छापने के पीछे साजिश : बाद में सारी तस्वीरें ‘सूर्या’ में छप गईं और इसके बाद भारी बवाल हुआ। खुशवंत सिंह सूर्या के कन्सलटेंट एडिटर हुआ करते थे। खुशवंत सिंह कहते हैं कि इन तस्वीरों को हासिल करने के लिए जाल डाला गया था। उन्होंने कई बार इस बात का जिक्र किया है कि ये तस्वीरें ऐसी थीं कि उन्हें छापने पर अश्लीलता के आरोप में मुकदमा तक चल सकता था। खुशवंत के मुताबिक तस्वीरों को देखकर लगता था कि सुरेश राम और सुषमा ने कैमरे के आगे जानबूझकर पोज़ दिए हैं। शायद कमरे में सेल्फ टाइमर वाला पोलरॉयड कैमरा लगा था और दोनों को पता था कि तस्वीरें ली जा रही हैं। ये तस्वीरें आज गूगल पर भी उपलब्ध हैं।

सेक्स स्कैंडल के बाद क्या हुआ? : यह मामला सामने आने के बाद जगजीवन राम का सियासी करियर डूब गया। उन्होंने 1980 में अपनी अलग पार्टी कांग्रेस (जे) बना ली थी। मीरा कुमार उनकी बेटी थीं लेकिन राजीव गांधी के बुलावे पर वो कांग्रेस पार्टी में चली गईं। जहां पर 2004 में उन्होंने पहली बार चुनाव भी लड़ा। अपने भाई और पिता के साथ हुई सियासी साजिश के समय मीरा कुमार राजनीति में सक्रिय नहीं थीं। सेक्स स्कैंडल के बाद सुरेश राम और सुषमा को जगजीवन राम का घर छोड़ना पड़ा। कहते हैं कि बाद में दोनों साथ-साथ रहा करते थ। 46 साल की उम्र में सुरेश राम की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद सुषमा का क्या हुआ ये कोई नहीं जानता।

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