कोरोना में अधिक फीस लेने वाले यूपी के निजी स्कूलों की जांच के लिए बनी समिति

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के 17 निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति की जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति गठित की। इन स्कूलों ने कोविड-19 महामारी के दौरान ली गई 15 प्रतिशत अतिरिक्त फीस को समायोजित करने या वापस करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
तथ्यों और खातों की जांच की आवश्यकता
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। आदेश में कहा गया है, इस मुद्दे पर प्रत्येक मामले में तथ्यों और खातों की जांच की आवश्यकता है।
इन परिस्थितियों में हम दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस जीपी मित्तल और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदिश मेहरा की सदस्यता वाली एक समिति गठित करते हैं जो खातों की जांच करेगी और निर्दिष्ट अवधि के दौरान संबंधित स्कूलों की वित्तीय स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
17 निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि वर्ष 2020-2021 के दौरान जब महामारी अपने चरम पर थी तो अभिभावकों द्वारा भुगतान की गई फीस का 15 प्रतिशत समायोजित करें या इसे वापस करें। इस आदेश को चुनौती देते हुए 17 निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।बहरहाल, पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रत्येक निजी स्कूल के तथ्यों और वित्तीय परिस्थितियों पर विचार किए बिना ”व्यापक ²ष्टिकोण” अपनाया है और इसे लागू रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
आपको प्रत्येक मामले पर गौर करना होगा
हाईकोर्ट के आदेश के बाबत चीफ जस्टिस ने कहा, ”आपको प्रत्येक मामले पर गौर करना होगा।” निजी स्कूलों ने दलील दी कि महामारी के दौरान कुछ स्कूलों में कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन में कटौती के अलावा मानव संसाधन का नुकसान भी हुआ।