महाराष्ट्र: अजित के विरोध पर भुजबल की समर्थकों को नसीहत

विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को सरकार पर किसानों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन किया। वहीं छगन भुजबल अजित पवार के बचाव में आए।

महाराष्ट्र में राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। एक तरफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता छगन भुजबल को लेकर सियासी पारा चरम पर है। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष किसानों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाकर प्रदर्शन कर रही है।

भुजबल अजित पवार के बचाव में आए
एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को कैबिनेट का पद नहीं देने पर लगातार विरोध हो रहा है। ओबीसी समुदाय के सदस्यों ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ कलेक्टर ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस पर भुजबल ने कहा, ‘अजित पवार के खिलाफ बैनर लगाना, उनकी तस्वीरों पर चप्पल फेंकना और उनके खिलाफ बकवास बोलना – ये सब मत करिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो इसका मतलब है कि आप हमारे सदस्य नहीं हैं। आप (समर्थकों) को अपना दर्द और गुस्सा जाहिर करने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन आपको अपनी बात शालीन शब्दों और तरीके से कहनी चाहिए।’

किसानों के प्रति उदासीनता का आरोप
विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को विधान भवन की सीढ़ियों पर लगातार तीसरे दिन विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार पर किसानों के प्रति उदासीनता और उन्हें फसल उत्पादन के लिए पर्याप्त मूल्य नहीं देने का आरोप लगाया।

इन लोगों ने किया विरोध-प्रदर्शन
महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतकालीन सत्र सोमवार को नागपुर में शुरू हुआ। विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, शिवसेना (यूबीटी) के उनके सहयोगी सुनील प्रभु और भास्कर जाधव, कांग्रेस नेता नाना पटोले, नितिन राउत, भाई जगताप और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के अन्य विधायकों ने बुधवार को विधान भवन की सीढ़ियों पर प्रदर्शन किया।

उन्होंने नारेबाजी करते हुए दावा किया कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है और सोयाबीन और कपास की फसलों के लिए किसानों को पर्याप्त कीमत नहीं दे रही है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान (यूबीटी) शिवसेना नेता दानवे ने मांग की कि धान किसानों को बोनस का भुगतान किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कपास और सोयाबीन किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है।

पिछले दो दिनों में एमवीए सदस्यों ने किसानों की समस्याओं, पिछले हफ्ते परभणी में हिंसा और बीड जिले में सरपंच की हत्या सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को निशाना बनाया।

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