16वीं शताब्दी में जन्मा पास्ता बना आज के Gen-Z की पहली पसंद
सुई-सलाई जितने महीन आकार से लेकर मोटी ट्यूब तक, पास्ता की जितनी विविधता आकार में है, इसको तैयार करने और स्वाद के मामले में भी इसका खूब विस्तार है। पास्ता को अगर कलिनरी वर्ल्ड की अलहदा कला कहा जाए, तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। इसके जितने आकार, अंदाज और स्वाद हैं, पास्ता को पकाना किसी कलाकारी से कम नहीं।
स्वयं में संपूर्ण
यह इटली था, जहां पास्ता वास्तव में फला-फूला। 16वीं शताब्दी में, यह पूरे इटली का एक मुख्य भोजन बन गया था। मगर साल दर साल चीजें बदलती जाती हैं। एक समय था जब लोग मीठे के शौकीन थे, आज जेन जी को कुछ तीखा-मसालेदार भी चाहिए। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क हो चुके लोगों को अगर स्वाद भी बदलना है तो वे पोषण को नजरअंदाज नहीं करते। यहीं पास्ता अपनी मौजूदगी मजबूत करता है। चूंकि बाजार में पास्ता के 600 से अधिक आकार उपलब्ध हैं, इसलिए विकल्प बढ़ जाते हैं।
स्पेगेटी से लेकर बुकाटिनी तक, लिंगुइन से लेकर पेने, फ्यूजिली, फारफाले और रेविओली तक पास्ता सिर्फ अपने आकार के लिए लोगों का प्रिय नहीं है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि पास्ता को किस तरह पकाया गया है और यह किस सॉस के साथ तैयार किया गया है। पास्ता बनाने का तरीका और उसमें इस्तेमाल होने वाले सॉस की जुगलबंदी इसे विशिष्ट बनाती है। टोमैटो सॉस से लेकर क्रीम बेस्ड और आयल बेस्ड सॉस तक के कम और ज्यादा इस्तेमाल से पास्ता का स्वाद बदलता जाता है और नई वैराइटी तैयार हो जाती है।
चार कोस पर बदले स्वाद
पास्ता सिर्फ एक स्वादिष्ट भोजन नहीं है, एक परंपरा है जिसने अनगिनत पाक परंपराओं और नवाचारों को प्रेरित किया है। इटली के विविध क्षेत्रों में, पास्ता कार्बोनारा से लेकर स्पेगेटी अला कार्बोनारा तक, अपने अनूठे पास्ता व्यंजन हैं, जिन्हें भारत में भी खूब पसंद किया जा रहा है। भारत में पास्ता की लोकप्रियता बढ़ रही है और मैंने देखा है कि आम तौर पर लोग अन्य प्रकारों की तुलना में मैकरोनी या पेने पास्ता का सेवन अधिक करते हैं। भारत में प्रत्येक क्षेत्र में पास्ता पकाने का अपना तरीका है इसलिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि किस क्षेत्र में कौन से सॉस का प्रयोग हो रहा है, लेकिन मेरे अनुभव के अनुसार अल्फ्रेडो सॉस अपनी क्रीमी टेक्सचर और मिठास के कारण बहुत पसंद किया जाता है।इसके साथ ही पिंक सॉस (टमाटर और क्रीम से बना) से तैयार होने वाला पास्ता भी कुछ अलग स्वाद दे जाता है।
हमारा अपना अंदाज है
बात अगर विदेशी स्वाद की करें तो जाहिर तौर पर अंतरराष्ट्रीय पास्ता में मसाले का स्तर शून्य होता है, वे अरबीट्टा और पास्ता एलियो ओली के अलावा शेष में केवल काली मिर्च को ऊपर से छिड़ककर हल्का सा स्वाद देते हैं। हम भारतीय मसालेदार स्वाद पसंद करते हैं जो आम तौर पर भारतीय मसालों और जड़ी-बूटियों से मिलता है। आप बाजार में कई पास्ता मैजिक मसाला व्यंजनों को भी देख सकते हैं। इटली के लोगों को अल डेंटे (पका हुआ लेकिन थोड़ा सख्त) पास्ता खाना पसंद है, जबकि हम भारतीय लोगों को अधिक पका हुआ पास्ता खाना पसंद है। जब इतनी विविधता है तो भारतीय और इटली के स्वाद को संतुलित करना एक जोखिम भरा किंतु मजेदार काम होता है। भारतीय स्वाद को संतुलित करने के लिए मैं रेड सॉस के पास्ता में करी पाउडर डालने जैसे कुछ प्रयोग करता रहता हूं।
चाइनीज फूड को कड़ी टक्कर
इन दिनों प्लांट बेस्ड पास्ता भी उपलब्ध हैं। यह विशेष रूप से उन मेहमानों के लिए बहुत अच्छा विकल्प है जो ग्लूटन फ्री डाइट लेना पसंद करते हैं। मुझे लगता है कि इसी वजह से यह भविष्य में यूथ के बीच और लोकप्रिय होगा, क्योंकि उनका अपनी सेहत के प्रति लगाव और त्याग किसी से छिपा नहीं है। जिस तेजी से पास्ता के प्रति लोगों में रुझान बढ़ रहा है, मुझे यकीन है कि आज जिस तरह जगह-जगह चाइनीज फूड आउटलेट और स्टाल हैं, कुछ समय बाद ठीक ऐसे ही भारतीय फ्यूजन पास्ता की जगह होगी!