महाराष्ट्र में जेसीबी से खुदाई के दौरान मिली ऐसी चीज

जमीन की खुदाई के दौरान शेषशायी भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। नागपुर क्षेत्र के अधीक्षण पुरातत्वविद अरुण मलिक ने पीटीआई को बताया कि 2.25 की गहराई में यह मूर्ति पाई गई है।

धरती पर कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में आज तक किसी को जानकारी नहीं है। इन रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। इसके लिए वह जगह-जगह जमीन की खुदाई भी करते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) भी रहस्यों का पता लगाने के लिए जगह-जगह खुदाई करता रहता है। अब खुदाई के दौरान महाराष्ट्र में बुलढाणा जिले के सिंदखेड राजा शहर में एक हैरान करने वाली घटना हुई है। यहां पर जमीन की खुदाई के दौरान खटखट की आवाज आई। इस आवाज को सुनकर वहां पर अधिकारी समेत मौजूद स्थानीय लोग हैरान हो गए। इस घटना के बाद वहां पर एक विशेष मूर्ति निकली।

जमीन की खुदाई के दौरान शेषशायी भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। नागपुर क्षेत्र के अधीक्षण पुरातत्वविद अरुण मलिक ने पीटीआई को बताया कि 2.25 की गहराई में यह मूर्ति पाई गई है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों के एक दल ने लखुजी जाधवराव की छतरी के संरक्षण कार्य के दौरान कुछ पत्थर देखा। इसके बाद फिर और खुदाई करने के बाद मंदिर की नींव तक पहुंचे।

मलिक ने बताया कि सभा मंडप मिला, जिसके बाद और खुदाई करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान एएसआई को देवी लक्ष्मी की एक मूर्ति मिली। इसके बाद इसमें शेषशायी भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति मिली। यह 1.70 मीटर लंबी और एक मीटर ऊंची है। मूर्ति के आधार की चौड़ाई 30 सेंटीमीटर है।

उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की यह मूर्ति का निर्माण क्लोराइट शिस्ट चट्टान से किया गया है। इस तरह की मूर्तियां दक्षिण भारत (होयसल राजवंश) में बनायी गयी थीं। इसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर लेटे हैं और देवी लक्ष्मी उनके पैर दबा रही हैं। इस मूर्ति में समुद्र मंथन को दिखाया गया है और इससे निकले अश्व और ऐरावत की नक्काशी भी पैनल पर देखी जा सकती है।

उन्होंने बताया कि इस मूर्ति की दशावतार, समुद्र मंथन और भगवान विष्णु को दर्शाती बारीक नक्काशी विशेषता है। मूर्ति विशेषज्ञ सैली पलांडे दातार ने कहा कि इसमें शिस्ट चट्टान पत्थर का इस्तेमाल किया गया है, जो स्थानीय रूप से पाए जाने वाले बेसॉल्ट चट्टान के मुकाबले नरम होता है।

उन्होंने बताया कि इस तरह की मूर्तियां पहले मराठावाड़ा में मिलती थीं, लेकिन वे बेसॉल्ट चट्टानों से बनी होती थीं। इस पैनल पर शेषनाग और समुद्र मंथन के बीच की मूर्ति भी प्रमुखता से उकेरी गयी है जो इसकी विशेषता है। भविष्य में जब महाराष्ट में कला संग्रहालय स्थापित किया जाएगा तो यह मूर्ति उसकी प्रमुख कलाकृतियों में से एक होगी।

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