बीसी खंडूड़ी ने किया सबसे ज्यादा गढ़वाल सीट का प्रतिनिधित्व, पांच बार चुने गए सांसद

पूर्व सीएम व पूर्व केंद्रीय मंत्री बीसी खंडूड़ी के गढ़वाल लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा पांच बार प्रतिनिधित्व करने का रिकॉर्ड कायम है। वह पांच बार गढ़वाल सीट से सांसद चुनकर देश की संसद में पहुंचे हैं।

गढ़वाल सीट के पहले सांसद भक्तदर्शन ने चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। चंद्रमोहन सिंह नेगी व सतपाल महाराज गढ़वाल सीट से दो-दो बार सांसद चुने गए। देश की आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव 1951-52 में गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भक्तदर्शन पहले सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार 1957, 1962 और 1967 में गढ़वाल सीट से सांसद बने और केंद्र में वाणिज्य सहित अन्य मंत्रालय संभाले।

वर्ष 1971 में गढ़वाल सीट से कांग्रेस के प्रताप सिंह संसद पहुंचे। 1977 में हुए चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बीच जनता दल के प्रत्याशी जगन्नाथ शर्मा ने गढ़वाल सीट से जीत दर्ज की थी। वर्ष 1980 में कांग्रेस के टिकट पर हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा ने गढ़वाल सीट पर जीत हासिल की। 1984 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस के चंद्रमोहन सिंह नेगी ने गढ़वाल सीट पर जीत दर्ज की थी।

महाराज के हाथों हार का करना पड़ा सामना
1989 में जनता दल से इस सीट से वह दोबारा सांसद चुने गए। सेना से सेवानिवृत्त होने वाले मेजर जनरल व हेमवती नंदन बहुगुणा के भांजे बीसी खंडूड़ी को भाजपा ने पहली बार वर्ष 1991 में गढ़वाल सीट से चुनाव मैदान में उतारा था और उन्होंने इस चुनाव में जीत दर्ज की। वर्ष 1996 में खंडूड़ी को तिवाड़ी कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल महाराज के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

लेकिन, उन्होंने वर्ष 1998 में हुए आम चुनावों में खंडूड़ी ने कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल महाराज को पराजित कर गढ़वाल सीट से दूसरी बार जीत दर्ज की। इसके बाद 1999 में फिर सतपाल महाराज व 2004 में टीपीएस रावत को हराकर वह चौथी बार गढ़वाल सीट से सांसद बने। 2009 के आम चुनाव में गढ़वाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल महाराज ने दूसरी बार जीत दर्ज की।

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बीसी खंडूड़ी को टिकट दिया और उन्होंने 1,84,526 वोट से जीत दर्ज कर पांचवीं बार गढ़वाल सीट का प्रतिनिधित्व करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया।

उप चुनाव में बहुगुणा और टीपीएस को मिली जीत
गढ़वाल सीट पर पहली बार वर्ष 1982 में उप चुनाव हुआ। जिसमें हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की थी। दूसरी बार वर्ष 2008 में हुए उपचुनाव में टीपीएस रावत को जीत मिली थी।

प्रताप सिंह और तीरथ के नाम भी है रिकॉर्ड
गढ़वाल सीट पर मत प्रतिशत में प्रताप सिंह और मतों की संख्या में तीरथ सिंह रावत के नाम रिकॉर्ड दर्ज है। प्रताप सिंह ने वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में 1,10,971 मत मिले थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी मेहरबान सिंह ने 20,747 मत हासिल किए थे। सिंह ने 64.42 फीसदी मतों से जीत दर्ज की थी। पूर्व सीएम व निवर्तमान गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को वर्ष 2019 के आम चुनाव में 5,06,980 और उनके प्रतिद्वंद्वी मनीष खूड़ड़ी को 20,4311 मत प्राप्त हुए। तीरथ ने इस सीट पर सबसे ज्यादा 3,02,669 मतों से जीत दर्ज की थी। वहीं, जनता दल प्रत्याशी चंद्रमोहन सिंह नेगी को वर्ष 1989 में 1,64,480 और कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल महाराज को 1,63,473 मत मिले थे। नेगी को 1007 मतों यानि सबसे कम 0.25 प्रतिशत से जीत मिली थी।

77 में टूटा कांग्रेस का वर्चस्व
गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व 1977 के चुनाव में टूटा। 1952 से लगातार कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज कर रही थी, जबकि 1977 में जनता दल प्रत्याशी जगन्नाथ शर्मा को जीत मिली थी।

राम मंदिर आंदोलन के बाद बना भाजपा का गढ़
राम मंदिर आंदोलन के बाद गढ़वाल सीट पहली बार भाजपा के खाते में आई थी। यहां से बीसी खंडूड़ी पहली बार जीत के साथ भाजपा का खाता खोलने में सफल रहे थे। जिसके बाद भाजपा अब तक हुए आठ लोकसभा चुनाव में सात पर जीत दर्ज कर चुकी है। कांग्रेस को सिर्फ एक जीत नसीब हुई है, जबकि एक उप चुनाव में भी भाजपा को ही जीत मिली थी।

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