तेल के दाम में तेजी से प्रभावित नहीं होगी विकास दर

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक नरमी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी तनाव के कारण तेल कीमतों में उछाल और उससे अगले वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि के प्रभावित होने को लेकर जोखिम न के बराबर है।

नागेश्वर का मानना है कि वैश्विक स्तर पर ब्याज में कमी किए जाने से पहले आर्थिक गतिविधियों में नरमी आएगी और उनकी उक्त बातें इसी धारणा पर आधारित हैं। एसबीआइ की तरफ से आयोजित आर्थिक सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ऊर्जा की मांग इतनी पर्याप्त हो जाएगी कि 2024 में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। भू-राजनीतिक स्थिति और लाल सागर में मालवाहक जहाजों की गतिविधियों के साथ क्या हो रहा है, ये प्रासंगिक मुद्दे हैं। लेकिन ये इतने गंभीर नहीं हैं कि मांग को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकें। मेरा विचार है कि अगर तेल के दाम बढ़ते हैं, उससे आर्थिक गतिविधियां और नरम होंगी।’ नागेश्वरन ने कहा, ‘मेरे लिए आरबीआइ के सात प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान को लेकर भरोसा नहीं करने का कोई कारण नहीं है।’

गतिरोध के लिए तैयार रहने की जरूरत
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि वैश्विक शासन की जटिलताएं 2024 में नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएंगी लिहाजा अधिक व्यवधानों और उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहने की जरूरत है। चंद्रशेखरन ने टाटा समूह के कर्मचारियों को भेजे अपने नववर्ष संदेश में 2023 को ‘एक अशांत वर्ष’ बताते हुए कहा कि इस साल दुनिया को अस्थिर प्रवृत्तियों का सामना करना पड़ा।

इसमें बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव से लेकर जेनरेटिव एआइ को बड़े पैमाने पर अपनाने से लेकर टिकाऊपन की ओर प्रोत्साहन भी शामिल हैं। उन्होंने समूह की कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज के आईपीओ और नई गीगाफैक्ट्री की घोषणा को ‘रोमांचक कदम’ बताते हुए भरोसा जताया कि आने वाले दशकों में इसकी वजह से जुझारू दर से वृद्धि होगी।

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