गोंडा: यातायात नियमों की अनदेखी बन रहा हादसे का सबब, 16 दिन में गई 18 जान

गोंडा में कृषि के साथ-साथ औद्योगिक विकास भी हो रहा है। यहां भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ी है। साथ ही परिवहन साधनों में इजाफा होने से सड़कों पर वाहनों का दबाव भी बढ़ा है। इसमें दो पहिया ट्रैक्टर बस ट्रक व ट्रेलर वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा जिले की सड़कों पर भारी वाहन चालक बेखौफ फर्राटा भरते हैं।

जिले में बड़ी संख्या में लोग सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। यातायात पुलिस की उदासीनता व लोगों में जागरूकता के अभाव में सड़क दुर्घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। विगत 16 दिनों में 18 लोग जान गंवा चुके हैं। साथ ही 30 लोग जीवन मौत से संघर्ष कर रहे हैं। औसतन रोज एक व्यक्ति के खून से सड़क लाल हो रही है। बावजूद इसके नाबालिग व नशे में वाहन चलाने वालों पर नकेल नहीं कसा जा रहा है। सर्वाधिक मौतें हेलमेट न लगाने व भारी वाहनों के ठोकर से हुई है।

जिले में कृषि के साथ-साथ औद्योगिक विकास भी हो रहा है। यहां भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ी है। साथ ही परिवहन साधनों में इजाफा होने से सड़कों पर वाहनों का दबाव भी बढ़ा है। इसमें दो पहिया, ट्रैक्टर, बस, ट्रक व ट्रेलर वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। यातायात विभाग छोटे वाहन चालकों के दस्तावेजों की जांच कर खानापूर्ति कर देता है, जबकि जिले की सड़कों पर भारी वाहन चालक बेखौफ फर्राटा भरते हैं।

यातायात पुलिस के प्रयासों के बाद भी सड़क दुर्घटना पर रोक नहीं लग पा रही है। यही हालात रहे तो ठंड में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

16 दिन में हुई 18 मौतें
सुंसड़ा के दीपक पांडेय, लोनियनपुरवा के गुड्डू चौहान, बब्बन व दुर्गेश, वजीरगंज कस्बे की सोनापति, गोसाईपुरवा के राकेश कुमार व धर्मेंद्र, मल्लापुर कस्बा निवासी राकेश कुमार गौतम, गोनई के आशीष कुमार, अमदही के प्रिंस, बनगाई के बृजेश कुमार, मनकापुर बस स्टेशन के कन्हैया लाल, चंदापुर के राकेश, डुमरियाडीह के सुरेश कुमार, लक्ष्मनपुर परसाेहनी के सांवली प्रसाद तिवारी, तुलसीपुर के रमेश कुमार, अलगू व सहजराम व चुनमुन समेत 18 की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकांश चालकों ने हेलमेट नहीं लगाए थे। यातायात नियमों का पालन करते तो शायद इनकी जान न जाती।

चिह्नित ब्लैक स्पाट
जिले में 14 ब्लैक स्पाट चिह्नित हैं। इनमें परसापुर पेट्रोल पंप, नगवा मोड़, दर्जी कुआं तिराहा, कोल्ड स्टोर चौराहा, दुर्जनपुर घाट, परागडेयरी, हारीपुर, बरगदीमोड़, महादेवा, पंडरीकृपाल, पिपरा चौकी, डुमरियाडीह, अमवा जंगल व छपिया गांव शामिल हैं।

दुर्घटना की प्रमुख वजह

  • फुटपाथ का न होना
  • डिवाइडर न होना
  • सांकेतांक न होना
  • उबड़-खाबड़ और गड्ढे युक्त सड़कें
  • नशे में वाहन चलाने की प्रवृत्ति
  • दोपहिया वाहन चालकों के द्वारा हेलमेट का उपयोग नहीं किया जाना
  • तेज रफ्तार वाहनों पर कार्रवाई न होना
  • मुख्यालय में ही बाइक पर स्टंट करने वालों व तेज रफ्तार बाइक चलाने वालों पर कार्रवाई न होना व सड़क ऊपर नीची होना प्रमुख कारण हैं।

निर्धारित गति मानक (किमी प्रति घंटा)

  • एक्सप्रेसवे – 80
  • स्टेट हाईवे – 60
  • राष्ट्रीय राजमार्ग- 60
  • राजमार्ग- 60
  • मुख्य जिला मार्ग-40
  • ग्रामीण मार्ग- 40
  • आबादी भाग- 30 से 40

वाहन मालिकों पर भी हो कार्रवाई
-वाहन चालक में शराब पीकर वाहन चलाते हैं, इससे आए दिन दुर्घटना होती है। ऐसे में वाहनों को रोककर चालकों की जांच किया जाना भी आवश्यक है, मगर यातायात विभाग द्वारा वाहन चालकों की नियमित जांच नहीं की जाती है। वहीं दुर्घटना होने पर वाहन मालिकों पर भी कार्रवाई का प्रावधान होना आवश्यक है। ताकि वे नशे के आदी ड्राइवरों के हवाले अपना भारी वाहन न करें, मगर वाहन मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। ग्रामीण क्षेत्र में ट्रैक्टर चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता और वे सड़कों पर फर्राटा भरते हैं जिसकी वजह से दुर्घटनाएं होती है।

एसपी अंकित मित्तल के अनुसार, यातायात नियमों का पालन कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। वाहन चलाने के दौरान स्वयं सावधानी बरतनी चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए। नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

परिवहन विभाग के प्रवर्तन अधिकारी शैलेंद्र तिवारी के मुताबिक, मनमानी फर्राटा भरने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन जरूरी है कि सभी लोग यातायात नियमों का पालन करें। खासकर तौर पर दो पहिया वाहन चलाने वाले हेलमेट जरूर लगाए। ट्रिपलिंग करने व हेलमेट न लगाने से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। वाहन में फाग लाइट व रेडियम लगवाएं।

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