स्वर्णिम आभा में दमकेगी काशी, घाटों पर आयेगी देवताओं की टोली
नमो घाट से अस्सी तक रोशन होंगे 21 लाख दीये, घरों की मुंडेरों से लेकर कुंड और सरोवरों पर भी जलेंगे दीप, टिमटिमायेंगे विद्युत झालर। काशी समेत देश-विदेश की जनता इस अद्भुत पलों की बनेगी साक्षी। ऐसा विहगंम व मनोरम दृष्य मानों देवता वास्तव में इस पृथ्वी पर दीवाली मनाने आ रहे हो। मानों गंगा के रास्ते देवताओं की टोली आने वाली है और उन्हीं के स्वागत में काशी के 84 घाट पूरी तरह से टिमटिमाती दीयों की रोशनी में नहाएं से दिखाई देते है। प्रशासन की मानें तो इस बार पूरे काशी में 21 लाख से अधिक दीप जलाने की तैयारी है। इसके अलावा काशी के घाटों पर सोमवार को अमृत महोत्सव की झलक भी देखने को मिलगी। मतलब साफ है सैलानियों को काशी में में ही पुरातन संस्कृति की झलक दिखाई देगी। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह होंगे मुख्य अतिथि।
–सुरेश गांधी
ऋतुओं में श्रेष्ठ शरद ऋतु, मासों में श्रेष्ठ ‘कार्तिक मास’ तथा तिथियों में श्रेष्ठ पूर्णमासी यानी प्रकृति का अनोखा माह तो है ही, त्योहारों, उत्सवों के माह कार्तिक की अंतिम तिथि देव-दीपावली है। इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है। तभी तो ‘देव दीपावली‘ का उत्साह चारों ओर दिखाई देता है। अर्द्धचंद्राकार में गंगा के किनारे चमकते-दमकते घाटों की कतारबद्ध श्रृंखलाएं। घाटों पर विद्युत झालरों की झिलमिलाहट व असंख्य दीयों में टिमटिमाती रोशनी की मालाएं, आकर्षक आतिशबाजी की चकाचौंध। बजते घंट-घडियालों व शंखों की गूंज। आस्था एवं विश्वास से लबरेज देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु। हर हाथ में दीपकों से थाली और मन में उमंगों की उठान। स्वर्णिम किरणों में नहाएं घाटों पर अविरल मंत्रोंचार। कल-कल बहती पतित पावनि मां गंगा। ऐसा विहगंम व मनोरम दृष्य मानों देवता वास्तव में इस पृथ्वी पर दीवाली मनाने आ रहे हो। मानों गंगा के रास्ते देवताओं की टोली आने वाली है और उन्हीं के स्वागत में काशी के 84 घाट पूरी तरह से टिमटिमाती दीयों की रोशनी में नहाएं से दिखाई देते है। प्रशासन की मानें तो इस बार पूरे काशी में 21 लाख से अधिक दीप जलाने की तैयारी है। इसके अलावा काशी के घाटों पर सोमवार को अमृत महोत्सव की झलक भी देखने को मिलगी। मतलब साफ है सैलानियों को काशी में में ही पुरातन संस्कृति की झलक दिखाई देगी।
बता दें, चंद्रग्रहण के चलते देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सोमवार को देव दीपावली मनाया जाएगा। मां जाह्नवी के अर्धचन्द्राकार घाटों पर शाम पांच बजकर 15 मिनट के बाद 10 लाख दीप जलाकर योगी आदित्यनाथ सरकार के पर्यटन मंत्री राजवीर सिंह राजघाट पर दिव्य और भव्य देव दीपावली महोत्सव का शुभारंभ करेंगे। इसके साथ ही पूरे बनारस में जनसहभागिता से तकरीबन 21 लाख दीये जलाये जाने की संभावना है। लाखों-लाख नेत्र युगल गंगा के साथ आकाश गंगा के मिलन की अनमोल घड़ी के गवाह बनेंगे। खास यह है कि जब लाखों दीपों की माला पहने हुए मां गंगा का श्रृंगार होता है तो ऐसा लगता है मानो आसमान के सितारे जमीन पर उतर आए हैं। ये नजारा सोमवार को काशी में देखने को मिलेगा जब महादेव की नगरी में देवता अपनी दीपावली मनाने आएंगे। देव दीपावली महोत्सव को देखते हुए वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद ये पहली देव दीपावली है। देव दीपावली के अवसर पर जल, थल और नभ से काशी नगरी की सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं।
देव दीपावली पर विश्व प्रसिद्ध काशी के घाट की आरती और सजावट शहर के कई स्थानों से सजीव देखा जा सकेगा। इसके लिए छह प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं के लिए वक्त पर आरती देखने के लिए हाई रिजुलेशन कैमरे लगाये गये हैं। एलईडी स्क्रीन लगाने के लिए छह जगहों का चयन भी भक्तों की अधिकता व आवागमन की दृष्टि से किया गया है। ये स्थान अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, राजघाट, गोदौलिया मल्टी लेवल पार्किंग व वाराणसी कैंट स्टेशन हैं। सजीव तस्वीरों के साथ जनता महाआरती के वक़्त भजन, घंटा घड़ियालों की आवाज़ के साथ आरती की ध्वनि भी सुन सकेगी। आदिकेशव घाट से शुरू करें तो राजघाट, गायघाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया घाट, ललिताघाट, मीरघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, राजा चेत सिंह घाट, केदारघाट, तुलसीघाट से असि घाट व रविदास घाट तक आज सब कुछ चकाचक और झकाझक नजर आ रहा है।
काशी के पंचक्रोशी परिक्रमा पथ के तहत ग्रामीण व शहरी इलाकों में 101 स्थानों पर देव दीपावली महोत्सव का आयोजन पहली बार होगा। अमृत महोत्सव में 75 वर्ष पर रंगोली, चित्र, पोस्टर की सजावट होगा। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से बनवाए गए अमर शहीद ज्योति की अनुकृति ढल कर तैयार है। बरसों से इस घाट की देव दीपावली देश के अमर जवानों के शौर्य व बलिदान को समर्पित रही है। घाट के दूसरे छोर पर गंगोत्री सेवा समिति द्वारा कराई जा रही साज-सज्जा अंतिम चरण में हैं। ऐतिहासिक चेतसिंह घाट पर थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए गंगा अवरित होने लगी हैं और देवदीपावली की कथा भी चकाचौंध पैदा कर रही है। उधर, राजघाट पर भी स्वर लहरियां गूंजने लगी हैं। आदिकेशव घाट पर फिर से अंगड़ाई ले रही दीपावली की रौनकें जमीन पर उतर आई हैं। रविदास घाट पर तो हर तरफ जैसे साज-शृंगार की दर्जनों धाराएं आ टकराई हैं। एक बात और, गंगा के घाटों की सीढ़ियां लांघ कर पर्व का उल्लास रेती पार और शहर के कुंड-सरोवरों से लगायत लगभग सभी देवालय व घर के चौक-चौबारों तक सज धज कर तैयार है।
होटल से लेकर क्रूज तक सब हाउसफुल
काशी के घाटों की इस नयनाभिराम छटा को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक खींचे चले आते है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशी में पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद हुई है। देव दीपावली पर होटल, गेस्ट हाउस, नाव, बजरा, बोट व क्रूज की पहले से ही प्री बुकिंग हो चुकी है। चेत सिंह घाट पर पहली बार 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग लेजर शो आयोजित करा रही है। काशी के घाटों के किनारे सदियों से खड़ी ऐतिहासिक इमारतों पर धर्म की कहानी जीवंत होती दिखेगी। वही गंगा की गोद में शिव भजनों का लेजर और लाइट मल्टीमीडिया शो होगा। पर्यटक ग्रीन पटाखों का भी आनंद ले सकेंगे।
प्रशासन ने की है पुख्ता इंतजाम
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि शंघाई सहयोग संगठन देशों से रूस के एक व किर्किस्तान के दो सदस्य इस बार देव दीपावली में मेहमान होंगे। उन्होंने बताया कि देव दीपावली विश्व विख्यात हो चुकी है और इसको देखने के लिए विश्वभर से पर्यटक आते हैं। जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि सरकारी इमारतों, सभी चौराहों और पोलों पर स्पायरल तिरंगा एलईडी लाइटिंग लगायी गयी है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों का स्वागत किया जाएगा। रंगोली, फसाड लाइट व बिजली की लड़ियों से सजावट किया गया है। काशी की सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दिया गया है।
जल, थल और नभ से होगी निगरानी
पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश के अनुसार पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतज़ाम रहेगा। किसी भी तरह के प्राइवेट ड्रोन को उड़ाने पर पूरी तरह ऱोक लगा दी गई है और जिले की सीमा पर भी चौकसी बरती जाएगी। इसके अलावा पर्याप्त संख्या में पुलिस और पीएएसी की तैनाती की गयी है। गंगा नदी में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मुस्तैद किया गया है। पर्यटकों की बड़ी संख्या देखते हुए अस्पतालों में बेड रिज़र्व करके चिकित्सकों की टीम को अलर्ट रखा गया है। गंगा में फ्लोटिंग डिवाइडर बनाए जा रहे हैं। नाविकों को निर्धारित पर्यटकों को बैठाने व लाइफ जैकेट पहनने की हिदायत दी गई है। श्रद्धालुओं व पर्यटकों की भारी भीड़ के अनुमान से ट्रैफिक डाइवर्जन व पार्किंग सुनिश्चित कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन ड्रोन कैमरे के जरिए निगरानी करेगी। कह सकते हैं कि आकाश, जमीन और पानी हर जगह से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये गये हैं।
काशी की विभूतियों को किया जाएगा याद
देव दीपावली समितियों ने भी दीपावली की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। योगी सरकार इनकी पूरी मदद कर रही है। समितियों ने निर्णय लिया है कि काशी से जुड़े महान सपूतों को पहला दीप अर्पित करेंगे। अस्सी घाट पर महामना मदन मोहन मालवीय, तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास, हरिश्चंद्र घाट पर डोम राजा, सिंधिया घाट पर तैलंग स्वामी और स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों के चित्र लगाए जाएंगे। इसके अलावा संगीतकार भारत रत्न पं रविशंकर, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पद्मविभूषण पं किशन महाराज, पद्मविभूषण गिरिजा देवी, पद्मभूषण पं राजन मिश्रा, साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद के भी चित्र लगेंगे।
अमर सपूतों को दी जाएगी श्रद्धांजलि
आध्यात्मिकता के साथ राष्ट्रवाद व सामाजिकता की भी झलक देव दीपावली में देखने को मिलती है। काशी नरेश ने देश के लिए वीरगति प्राप्त होने वाले सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी, जो आज भी जारी है। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाई गई है। हर साल यहां भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान‘‘ से सम्मानित भी किया जाता है। इसके साथ ही एक संकल्प गंगा किनारे’ के माध्यम से माँ गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने, पर्यावरण व जल संरक्षण संकल्प दिलाया जाएगा। 51 कन्याओं द्वारा दशाश्वमेध घाट पर महाआरती होगी जो नारी शक्ति का भी संदेश देगी।
देव दीपावली की पौराणिक मान्यताएं
मान्यता है की देवोत्थान एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु निद्रा से जागते हैं, इसके बाद महादेव की नगरी काशी में वे समस्त आकाशीय देवताओं के साथ दीपावली का पर्व मनाने आते हैं। इस पर्व को मनाने के लिए देवतागण काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है, जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध भगवान विष्णु ने इसी दिन किया था। इसके बाद देवताओं ने दीपावली मनाई थी। देव दीपावली के अवसर पर सुबह से ही काशी के घाटों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं। मान्यता ये भी है कि कार्तिक मास के इस दिन दीप दान करने से पूर्वजों को तो मुक्ति मिलती है और साथ में दीपदान करने वाले श्रद्धालु को भी मोक्ष का मार्ग मिलता है।
देवताओं ने तोड़ा दिवोदास का अहंकार
कहते है त्रिपुर नामक राक्षस द्वारा काशी में उस दौरान देवताओं के प्रवेश पर प्रतिबंद्ध लगा दी गई थी। उसके अहंकार से देवलोक में हड़कंप मच गया। कोई देवी-देवता काशी आने को तैयार नहीं होता। कार्तिक मास में पंच गंगा घाट पर गंगा स्नान के महात्म्य का लाभ का लेने के लिए चुपके से साधुवेश में देवतागण आते थे और गंगा स्नान कर चले जाते। उसी दौरान त्रिपुर नामक दैत्य को भगवान भोलेनाथ ने वध किया और अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को नष्ट कर दिया। राक्षस के मारे जाने के बाद देवताओं की विजय स्वर्ग में दीप जलाकर देवताओं ने खुशी मनाई। इस दिन को देवताओं ने विजय दिवस माना और खुशी मनाने के लिए कार्तिक पूर्णिमा पर काशी आने लगे। काशी आने का मकसद भगवान भोलेनाथ की महाआरती करने का भी था। वैसे भी कार्तिक पूर्णिमा को चन्द्रमा का सम्पूर्ण प्रकाश पृथ्वी को प्रकाशित करता है तथा दीयों के प्रकाश के साथ मिल कर एक विशेष प्रकार की आभा उत्पन्न करता है, जिससे देवताओं की प्रसन्नता की अनुभूति होती है। ऐसा लगता है मानो पृथ्वी पर पूरा दिव्यलोक उतर आया हो। देव दीपावली दीयों से संबंधित उत्सव है।
काशी के गंगाघाट पर इस दिन सूर्यास्त के पश्चात चन्द्रोदय के समय गंगा की विधिवत पूजा एवं अर्चना के साथ दीये जलाएं जाते हैं। परम्परा और आधुनिकता का अदभुत संगम देव दीपावली धर्म परायण महारानी अहिल्याबाई से भी जुड़ा है। अहिल्याबाई होल्कर ने प्रसिद्ध पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत हजारा दीप स्तंभ स्थापित किया था जो इस परम्परा का साक्षी है। आधुनिक देव दीपावली की शुरुआत दो दशक पूर्व यहीं से हुई थी। राजघाट पुल पर लगी आकर्षक फसाड लाइटें भी चमक बिखेर रही हैं। विद्युत विभाग और स्मार्ट सिटी द्वारा राजघाट पुल के गाडर पर जगह जगह रंग-बिरंगी लाइटें लगाई जा रही हैं। इसके गंगा नदी और खिड़किया घाट पर प्रकाश रहेगा।