एक तरफ किसान…तो…दूसरी तरफ पुलिस, मांगों को लेकर अड़े किसान, जारी घमासान
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्श काफी बढ़ता जा रहा है। साथ ही सरकार का रवैया भी काफी सख्त होता जा रही है। वहीं, किसान अपनी जिद पद पूरी तरह से अड़े हुए हैं और वह अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ कूच कर चुके हैं। इसी बीच किसानों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन उन सभी का सामना करते हुए आखिरकार किसान दिल्ली के करीब पहुंंच चुके हैं। शुक्रवार को किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई, पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए सिंध बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले दागे, हालांकि किसान एक कदम भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। किसान दिल्ली आने की जिद किए बैठे हैं।
किसानों का विरोध प्रदर्शन काफी उग्र होता जा रहा है। इसी प्रदर्शन की वजह से दिल्ली में कई स्थानों पर मेट्रो सेवा भी बाधित हो गई है। मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। अब यह सूचना भी आ रही है कि दिल्ली राजधानी क्षेत्र में अस्थाई जेल बनाए जाएंगे। दिल्ली मेट्रो की ग्रीन लाइन पर ब्रिगेडियर होशियार सिंह, बहादुरगढ़ सिटी, श्रीराम शर्मा, टिकरी बॉर्डर, टिकरी कलां, घेवरा स्टेशन के एंट्री और एग्जिट गेट को बंद कर दिया गया है।
सिंधु बॉर्डर के इतर पंजाब-हरियाणा बॉर्डर के 6 रास्तों पर किसानों का बड़ा जत्था मौजूद है जो दिल्ली आ रहा है। पुलिस ने हर मोड़ पर किसानों को रोकने की तैयारी कर रखी है। ये लोग कभी भी दिल्ली आ सकते हैं। दिल्ली पुलिस ने राज्य सरकार से कुल 9 स्टेडियम को अस्थाई जेल बनाने के लिए अनुमति मांगी है।
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कोरोना संकट में राजधानी में बड़ी संख्या में एक जगह जमा होना मना है। ऐसे में अगर किसान दिल्ली में आते हैं तो उन्हें हिरासत में लेकर अस्थई जेलों में बंद कर दिया जाएगा। दिल्ली मेट्रो नोएडा और गुरुग्राम तो जा रही हैं, लेकिन उधर से सवारी लेकर वापस नहीं आ रही हैं।
अब उत्तर प्रदेश के किसान भी पंजाब-हरियाणा के किसानों के साथ मैदान में उतरने वाले हैं ।माना जा रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हजारों की संख्या में किसान आने वाले हैं। ये दिल्ली-देहरादून राजमार्ग को जाम करेंगे। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि तीन दिसंबर को वो किसानों से बात करेंगे। किसानों की मांग है कि पीएम उनसे बात करें।
उधर, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि किसानों पर पुलिस द्वारा लिया जा रहा एक्शन गलत है। केंद्र सरकार को तुरंत किसानों से बात करनी चाहिए और कृषि संबंधी कानून वापस लेना चाहिए। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा का कहना है कि राज्य सरकार को दिल्ली पुलिस की अस्थाई जेल बनाने की अपील को ठुकरा देना चाहिए। किसान अपने हक की बात कर रहे हैं वो कोई आतंकी नहीं हैं।
कल यानी 26 नवंबर को अंबाला में किसानों और पुलिस की भिड़ंत हुई थी। तब पुलिस ने पानी की बौछारें छोड़ी थी। लेकिन किसान हटने को तैयार नहीं थे। किसानों ने रास्तों को रोकने वाले बैरिकेडिंग्स को ट्रैक्टर से उठाकर हटा दिया था। वॉटर कैनन की मार से भी किसान नहीं रुक रहे थे।