महात्मा गांधी ने पीड़ितों की मदद के लिए 5-5 रुपये में बेचा था…

दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटने के बाद महात्मा गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए। इसकी शुरुआत बापू ने बिहार में चंपारण आंदोलन से किया। बिहार का चंपारण ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ बनाया था। लेकिन केवल चंपारण ही बापू का कर्मक्षेत्र नहीं रहा। चंपारण आंदोलन के कुछ दिनों के बाद महात्मा गांधी बिहार के भागलपुर आए थे। यहां पर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए लोगों को तैयार किया था।

सन 1934 में बिहार में आए भूकंप से भागलपुर ज्यादा प्रभावित था। कांग्रेस द्वारा पीड़ितों के लिए राहत कार्य जारी था। ऐसे में राहत कार्य को देखने के लिए बापू भी सहरसा से बिहपुर होते हुए भागलपुर पहुंचे थे। भागलपुर के लाजपत पार्क में गांधी जी ने लोगों को संबोधित करते हुए राहत कार्य में सहयोग करने और भूकंप पीड़ितों की मदद करने की अपील की थी।

लाजपत पार्क में आयोजित सभा के दौरान स्वयंसेवकों ने झोली फैला लोगों से चंदा एकत्र किया था। इस सभा में ऐसे बहुत से लोग थे, जो गांधी जी का ऑटोग्राफ लेना चाहते थे। लेकिन गांधी जी ने इन लोगों को अपना ऑटोग्राफ 5-5 रुपये में बेचने का शर्त रखा। ऑटोग्राफ बेचने से मिलें पैसे को बापू ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए दे दिया।

भागलपुर में गांधी जी दीप नारायण सिंह के घर पर ठहरे थे। जिस भवन में गांधी जी ठहरे हुए थे उसे बाद में दीप नारायण सिंह के इच्छानुसार जिला न्यायाधीश का आवास बना दिया गया। यह भवन अपने विशिष्ट वास्तुकला व बनावट के कारण बिहार में अनूठा है। फिलहाल इस भवन को ‘हेरिटेज बिल्डिंग’ की सूची में शामिल करने के लिए सरकार से बात चल रही है।

पहले भी आए थे भागलपुर
बता दें कि महात्मा गांधी इससे पहले भी सन 1917 में एक छात्र सम्मेलन को संबोधित करने भागलपुर आए थे। इस सम्मेलन के लिए देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निर्देश पर कृष्ण मिश्र ने छात्रों को संगठित करने का काम किया था। इस छात्र सम्मेलन की महात्मा गांधी ने अध्यक्षता की थी।

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