Republic Day 2020: कोई नहीं भूल पाएगा 7 जवानों की वो शहादत, जब 85 फीट खड़ी पहाड़ी चढ़कर..
देश की खातिर हमारे वीर सैनिक हंसते-हंसते अपनी शहादत भी दे देते हैं। यही वजह है कि हम लोग सुकून की जिंदगी बसर कर पाते हैं। देश ने वैसे तो कई युद्ध झेले हैं, लेकिन पाकिस्तान की नापाक करतूत की वजह से भारत को 1999 का करगिल युद्ध करने को मजबूर होना पड़ा था। हालांकि भारतीय वीर सैनिकों के शौर्य ने पाकिस्तान के हर मंसूबे को नाकाम कर दिया और पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में घुसकर हथियाई गईं सभी महत्वपूर्ण चौकियों को वापस अपने कब्जे में ले लिया था। दुश्मन के पहाड़ी पर बैठे होने की वजह से हर एक चौकी को फतह करने में देश के कई वीर जवानों ने अपनी जान गवाईं। लेकिन वीर जवानों हौसले ने आखिरकार हमारी जीत का परचम लहरा दिया।
ऐसी ही मुश्किल चौकियों में से एक चौकी 56/85 पहाड़ी की भी थी। जिसे सेना की सिर्फ 8 जवानों की टुकड़ी ने फतेह किया। मुश्किल चढ़ाई से ना सिर्फ वीर सैनिकों ने पार पाई बल्कि पहाड़ी पर पहुंचकर 21 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। इस ल़ड़ाई में 8 में से 7 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इनमें से एक सैनिक राम समुझ यादव ने देश के लिए शहादत देने के पहले तेज बुखार में पाक सैनिकों का जमकर मुकाबला किया था।
चौकी पर कब्जा करने वाली भारतीय सैनिकों की टुकड़ी में से सिर्फ 13 कुमाऊ रेजीमेंट के सैनिक दुर्गा प्रसाद यादव ही बचे थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टुकड़ी में एक कमांडर के साथ 7 और जवान थे। उन्हें रात में पहाड़ी पर चढ़ाई करना थी और सुबह 5 बजकर 5 मिनिट पर हमला करना था। पाक सैनिक पहाड़ी की चोटी पर मौजूद थे। एक तरफ पहाड़ी बिल्कुल सीधी थी जिस पर चढ़ना बेहद मुश्किल था। उस तरफ पाक सैनिकों की नजर भी कम होती थी। यही वजह थी कि उस तरफ से रात में चढ़ने का फैसला किया गया था। इस पहाड़ी पर 56 फुट के बाद 85 फुट तक सिर्फ रस्सी के सहारे ही चढ़ा जा सकता है इसलिए इसे 56/85 नाम दिया गया।
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जिस वक्त टुकड़ी पहाड़ी पर फतेह करने जा रही थी उसी दौरान सभी को पता लगा था कि राम समुझ यादव को तेज बुखार है। ऐसे में उन्हें वापस जाने को कहा गया लेकिन वह नहीं माने। जब वीर जवान पहाड़ी पर पहुंचे तो सबसे पहले राम समुझ यादव ही पाक सैनिकों पर टूट पड़े। 8 जवानों की टुकड़ी ने 21 पाक सैनिकों को मार गिराया। इसमें 7 भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए। टुकड़ी में बचे दुर्गा प्रसाद यादव ने बाद में भारतीय सेना को चौकी जीतने की जानकारी दी। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने पहुंचकर पूरी चौकी पर कब्जा लिया।