जानें क्या होता अगर रावण, सीता माता को लगा देता हाथ

राम की अर्धांगिनी मां सीता का पंचवटी के पास लंकाधिपति दशानन राव़ण ने अपहरण करके 2 साल तक अपनी कैद में रखा था। लेकिन इस कैद के दौरान दशानन राव़ण ने माता सीता को छुआ तक नहीं था। तो ऐसी क्या वजह थी कि दशानन राव़ण ने सीता माता को छुआ तक नहीं? क्या माता सीता में सतीत्व की शक्ति थी या कि दशानन राव़ण डरता था राम से। कहीं ऐसा तो नहीं कि दशानन राव़ण ने कोई वचन धारण कर रखा हो या वह किसी शाप से बंधा हो?
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दशानन राव़ण जब सीता के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया तो माता ने घास के एक टुकड़े को अपने और दशानन राव़ण के बीच रखा और कहा, ‘हे दशानन राव़ण! सूरज और किरण की तरह राम-सीता अभिन्न हैं। राम व लक्ष्मण की अनुपस्थिति में मेरा अपहरण कर तुमने अपनी कायरता का परिचय और राक्षस जाति के विनाश को आमंत्रित कर दिया है। तुम्हारे को श्रीरामजी की शरण में जाना इस विनाश से बचने का एकमात्र उपाय है अन्यथा लंका का विनाश निश्चित है।’