गांवों को खुले में शौच मुक्त करने के लिए प्रशासन भले ही स्वच्छता अभियान चला रहा हो लेकिन…..

गांवों को खुले में शौच मुक्त करने के लिए प्रशासन भले ही स्वच्छता अभियान चला रहा हो लेकिन, यहां थोड़ी सी हीलाहवाली दिव्यांग बच्चों के लिए मुसीबत बन गई है। स्कूल शौचालय में रैंप का निर्माण न होने से ये बच्चे खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। इसका खुलासा हाल ही में कराए गए सर्वे में हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग के 2234 प्राथमिक व 903 उच्च प्राथमिक स्कूल संचालित हैं। यहां अध्ययनरत 4669 छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों में शौचालय के अलावा, मार्ग, रैंप, पेयजल, श्यामपट, दरवाजे, बाउंड्रीवॉल व गेट भी दिव्यांगों के लिए सुगम नहीं हैं।

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सर्वे में सामने आई हकीकत

-जिले की 1054 ग्राम पंचायतों में बेसिक शिक्षा के 3137 स्कूल संचालित हैं। इनमें जूनियर व प्राथमिक स्कूल शामिल हैं। प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो मॉडल स्कूल चिन्हित किए गए थे। इसके बाद सर्वे की जिम्मेदारी एक संस्था को सौंपी गई। विकासखंड तरबगंज, बेलसर, वजीरगंज, नवाबगंज, कर्नलगंज, परसपुर, कटराबाजार, हलधरमऊ, झंझरी, पंडरीकृपाल, रुपईडीह, मुजेहना, इटियाथोक, मनकापुर, बभनजोत व छपिया में सत्यापन के बाद एक भी स्कूल शौचालय दिव्यांगों के लिए मानक के अनुसार नहीं पाए गए। ऐसे में लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद दिव्यांग बच्चों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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बेसिक शिक्षा विभाग के मॉडल स्कूलों की सर्वे रिपोर्ट आई है, जिसमें कुछ कमियां बताई गई हैं। संबंधित से बिदुवार रिपोर्ट मांगी गई है, इसके बाद समस्या का समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा।

-घनश्याम सागर, डीपीआरओ गोंडा

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