अमित शाह के यूपी दौरे के बाद बीजेपी नेताओं का बदल गया वर्क स्टाइल

केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. 2019 में विपक्ष खासकर मायावती और अखिलेश यादव जैसे यूपी के दो बड़े क्षत्रप बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इसी रास्ते को रोकने के लिए एक साथ आ गए हैं. सूबे में सपा-बसपा के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए बीजेपी अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की कवायद में जुट गई है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पिछले दस दिनों में दो बार सूबे का दौरा कर चुके हैं. शाह के दौरे के बाद से सीएम योगी सहित उनके मंत्री सक्रिय हो गए हैं.

बीजेपी ने ग्राम स्वराज अभियान का आगाज किया है. इसके तहत सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री सूबे की जमीनी हकीकत को जानने और लोगों का नजरिया समझने के लिए गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों के साथ रू-ब-रू हो रहे हैं. इतना ही दलित के घर खाना खाते हैं और गांव में ही रात्रि विश्राम करते हैं.

यूपी तय करता है दिल्ली का रास्ता

दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, तो इसके पीछे देश का राजनीतिक इतिहास है. यूपी ने अब तक सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए हैं. प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं. यानी केंद्र में सरकार बनाने के लिए जितनी सीटें चाहिए उसकी करीब एक तिहाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में 73 जीती थीं, तभी उसका मिशन 272 प्लस कामयाब हो पाया था. हाल ही में हुए गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में जब सपा और बसपा साथ आए तो बीजेपी अपनी 2 सीटें हार गई.

सूबे की 80 सीटें जीतने का टारगेट

बीजेपी ने 2019 में सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने का टारगेट बनाया है. शाह के यूपी दौरे के बाद से योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री पूरी तरह से सूबे में सक्रिय हो गए हैं. बीजेपी इस प्लान के तहत दलितों की नाराजगी को दूर करने की कवायद भी कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम स्वराज अभियान के तहत शाहजहांपुर का अचानक दौरा किया. इस कड़ी में सोमवार को प्रतापगढ़ पहुंचे हैं. जिले के पट्टी तहलीस के रुकेंगे और रात्रि में दलित प्रधान के घर खाना खाएंगे.

गांव में लगेगी योगी के मंत्रियों की चौपाल

मुख्यमंत्री और मंत्री पंचायत भवन, स्कूल या सार्वजनिक भवन में रुकते हैं. वहीं वे चौपाल लगाते हैं और ग्रामीणों से बात करके उनकी समस्याएं जानने की कोशिश कर रहे हैं. सीएम ने अपने सभी मंत्रियों के  निर्देश दे चुके हैं कि जिलों के प्रभारी मंत्री और नोडल अधिकारी योजनाओं का सच और लोगों का फीडबैक जानने के लिए गांवों में जाएं. सीएम योगी की बात पर प्रभारी मंत्रियों ने अमल करना भी शुरू कर दिया है.

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कांग्रेस के दुर्ग पर नजर

कांग्रेस के दुर्ग अमेठी और रायबरेली पर बीजेपी की नजर है. 2014 में कांग्रेस ने कांग्रेस रायबरेली और अमेठी सीट ही बचा पाई थी. यही वजह है कि बीजेपी ने पिछले दिनों कहा था कि 2019 में राहुल और सोनिया अपनी-अपनी सीट बचाने की चिंता करें. इसीलिए मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को रायबरेली पहुंचे और कांग्रेस में सेंधमारी करके एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह और जिला पंचायत अध्यक्ष सहित कई प्रमुख लोगों को बीजेपी में शामिल कराकर नई जमीन तैयार की.

बीजेपी सपा के गढ़ में सेंधमारी की जुगत में

बीजेपी की नजर कांग्रेस के दुर्ग के साथ-साथ सपा के गढ़ पर भी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली, अमेठी के अलावा कन्नौज, मैनपुरी, आजमगढ़, बदायूं और फीरोजाबाद सीटें बीजपी के हाथ से फिसल गई थीं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज से इस बार चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. जबकि पिछले चुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव बीजेपी सुब्रत पाठक ने महज 20 हजार वोटों से जीती थी. इसी तरह से बाकी सपा की जीती हुई सीटों को लेकर बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गई है. इसके लिए पार्टी बूथवार होमवर्क तैयार करने में जुट गई है.  

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