चैत्र नवरात्र: ऐसे करेंगे कलश स्थापना तो पूरी होगी हर मनोकामना, प्रसन्न होगी मां दुर्गा

चैत्र नवरात्र इस बार 8 दिन का ही होगा। नवरात्र 18 मार्च से आरंभ हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, आठवीं रात्रि खंडित होने की वजह से इस बार नवरात्र 8 दिन का ही होगा। 

इस दिन शुभ मुहुर्त में घट स्थापना कर मां दुर्गा एवं अपने ईष्ट का पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र (शुभ फल देने वाला) एवं शुक्ला योग (शुभ कारक) होने के कारण घट स्थापना सूर्योदय के बाद करना अधिक लाभकारी होगा। 

कलश स्थापना की विधि

पूजन सामग्री – चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्घ घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्ब पत्र, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, नैवेध, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि।

पूजन विधि

पहले पूर्व दिशा में मुंह करके मां दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाए। मां दुर्गा के बाईं ओर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर चावल के नौ कोष्ठक, नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूँ के सोलह कोष्ठक षौडशामृत के बनाये। एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बना कर उसके गले में मौली बांध कर उसके नीचे गेहूं या चावल डाल कर रखें। 

आज से हुई, भारतीय नव वर्ष की शुरूआत

उसके बाद उस पर नारियल भी रखें। तेल का दीपक एवं शुद्घ घी का दीपक जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला करके उसमें जौ के दाने डालें, उसे चौकी के बाईं तरफ कलश के पास स्थापित करें। बाएं हाथ में जल लेकर दाएं हाथ से स्वयं को पवित्र करें और बार-बार प्रणाम करें। उसके बाद दीपक जलायें एवं दुर्गा पूजन का संकल्प लेकर पूजा आरंभ करें।

महाष्टमी  – 24 मार्च शनिवार को महाष्टमी पूजन सौभाग्य योग में परिक्रमा, सरस्वती पूजन एवं अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रात: 10:06 बजे से आरम्भ करके 25 मार्च को प्रात: 08:03 बजे समाप्त होगी।

महानवमी – 25 मार्च रविवार को प्रात: सिद्घ योग में महानवमी पूजन होगा। 

 

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