श्रीगणेश और कार्तिकेय ही नहीं, बल्कि ये 3 कन्याएं भी हैं भगवान शिव की संतान
भगवान शिव की पहली पुत्री का अशोक सुंदरी है अशोक सुंदरी का जन्म धार्मिक शास्त्र ‘पद्म पुराण’ में विस्तृत रूप से बताया गया है, अशोक सुंदरी का जिक्रगुजरात और कुछ पड़ोसी राज्यों में ‘व्रतकथाओं’ में आता है।
इन कथाओं के अनुसार अशोक सुंदरी को देवी पार्वती की इच्छापूर्ति के लिए बनाया था, जिससे उनका अकेलापन को कम हो सके। इसीलिए उसका नाम अशोक रखा गया था क्योंकि उसने देवी पार्वती को शोक या दु:ख से मुक्ति दिलाई थी। बाद में वह अशोक सुंदरी के नाम से जानी गई क्योंकि वह बेहद ही सुंदर थीं। शिव पुराण के अनुसार अशोक सुंदरी का विवाह राजा नहुष से हुआ था। और ये बात उनको बचपन से ही पता थी क्योकि ने भविष्य की सारी जानकारी रखती थीं। अशोक सुंदरी की सौ पुत्रियां थी जो उन्ही के समान सुन्दर थी।
ज्योति
प्रकाश की हिंदू देवी रूप में मान्यता प्राप्त ज्योति भी भगवान शिव और पार्वती की बेटी है। इनके जन्म की दो भिन्न कथायें हैं। पहली के अनुसार वह भगवान शिव के प्रभामंडल से निकली थीं और वे भगवान की भौतिक अभिव्यक्ति है। दूसरी कहानी में, वह देवी पार्वती के माथे की चिंगारी से पैदा हुई थी। वह सामान्यतः अपने भाई कार्तिकेय से जुड़ी हुई थीं। तमिलनाडु के कई मंदिरों में उनकी पूजा की जाती है। भारत के कुछ हिस्सों में, उन्हें देवी रेकी के रूप में भी पूजा जाता है जो वैदिक राक के साथ जुड़ा हुआ है। उत्तर भारत में, वह देवी जवालाईमुची के रूप में जानी जाती हैं।
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मनसा
मनसा देवी भगवान शिव की तीसरी बेटी मानी जाती हैं जिनका जन्म सांप के विष से इलाज करने के रूप में हुआ था। कहा जाता है की जब भगवान शिव के वीर्य ने जब राक्षसी कदरू द्वारा बनाई गई मूर्ति को छुआ था तो मनसा देवी का जन्म हुआ था। इन्हें कई जगह नागराज वासुकी की बहन के रूप में भी पूजा जाता है, इनका प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार में स्थापित है। विशेष बात ये है कि मनसा देवी सिर्फ भगवान शिव की ही बेटी हैं उनका माता पार्वती से संबंध नहीं है।