पहली फिल्म के लिए अपनी फीस सुनकर शॉक्ड हो गये थे अमिताभ
ट्विटर पर हैशटैग चल रहा है. #49YearsOfAmitabhBachchan अर्थात बॉलीवुड में बच्चन साब के एक कम पचास साल हो गए हैं. आज अमिताभ बच्चन महानायक, स्टार ऑफ द मिलेनियम और पता नहीं क्या क्या हैं. लेकिन उनकी शुरुआत इत्ती हाई फाई नहीं थी. जैसे हम लोग नौकरी चाकरी की शुरुआत करते हैं. किसी को 2 हजार, किसी को 4 हजार रुपए ‘इन हैंड’ मिलते हैं. सैलरी अकाउंट नहीं होता भाईसाब. तो बच्चन साब को पहली फिल्म के लिए मिले थे 5 हजार रुपए. वो फिल्म थी सात हिंदुस्तानी. इस फिल्म के माई बाप थे ख्वाजा अहमद अब्बास. यानी उन्होंने फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले लिखा था. पइसा भी खुदै लगाया था और डायरेक्ट भी खुदै की थी.
तो ये अमिताभ की पहली फिल्म थी जिससे 49 साल पहले उनके हीरो बनने की शुरुआत हुई. इसी फिल्म से जुड़ा किस्सा बॉलीवुड विंटेज नाम के हैंडल से ट्वीट हुआ जिसे अमिताभ ने रिट्वीट किया. हमको दिखा तो हम कहे कि भई किस्सा मजेदार है. सबको जानना चाहिए.
किस्सा टीनू आनंद के हवाले से है. ये भी कर्रे एक्टर हैं. न याद हो तो हम याद दिला देते हैं. चमत्कार फिल्म में कुंडा बने थे. हासिल में जिमी शेरगिल के पापा बने थे. बाकी खोज लियो. तो वो टीनू आनंद बताते हैं कि वो ख्वाजा अब्बास के फैमिली फ्रेंड हुआ करते थे. स्कूल कॉलेज से छुट्टी मिलती तो लपक के जा पहुंचते उनके पास. कहते कि अपनी फिलिम में कोई रोल दे दो. छोटा मोटा ही सही. भागते भूत की लंगोटी भली.
अब्बास साहब को हिरोइन की तलाश थी. उनको टीनू आनंद की दोस्त नीना सिंह मिली. टीनू के घर में. पूछा कि क्या फिल्म में काम करोगी? वो मान गई और अब्बास का काम बन गया. एक दिन नीना ने कहा कि टीनू बस, मुझे अपने एक फ्रेंड की फोटो चाहिए. वो कलकत्ते में रहता है, उसे फिल्म लाइन में इंट्रेस्ट भी है. हीरो बनना चाहता है.
फोटो मिली तो उसमें एक महा लंबा आदमी दिखा. अब्बास ने कहा कि इसको बोलो अपने खर्चे पर बंबई आए. ऑडिशन दे. ये भी कहा कि उनको पता नहीं है, ये ऑडिशन कब होगा. तो तब तक इंतजार करे, धीरज धरे. ऐसे बच्चन बंबई पहुंचे. टीनू उनको लेकर अब्बास के ऑफिस पहुंचे. बातचीत हुई. टीनू को जिम्मेदारी मिली कि वो अमिताभ से बताएं. कि उनको फिल्म में काम करने को मिलेगा. 5 हजार रुपए मिलेंगे. पूरी फिल्म के लिए. टीनू इस निगोशिएशन को ‘डर्टी जॉब’ कहकर संबोधित करते हैं.
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अमिताभ और उनके भाई अजिताभ ने सुना तो चौंक गए. ये भी कहा गया था कि फिल्म बनने में एक साल भी लग सकता है, पांच साल भी. अमिताभ एक्टिंग के लिए बेताब थे. इस प्रपोजल से बड़े खुश नहीं हुए. लेकिन हामी भर दी. इस तरह सात हिंदुस्तानी फिल्म में एक कवि का रोल उनको मिला.
जाबड़ किस्सा था न. मजेदार लगा हो तो हमको कमेंट में बताना. आपके पास भी किस्से हों तो बताना. हम इधर सुनने को बैठे हैं.