ताजमहल और तेजोमहालय के चक्कर में केंद्र को देना पड़ेगा भारी जुर्माना

आगरा के कोर्ट में चल रहे ताजमहल बनाम तेजोमहालय केस में जवाब न देने पर केंद्र सरकार और पुरातत्व विभाग पर 200 रुपये का जुर्माना किया गया है। जवाब दाखिल करने के लिए अगली तारीख चार जनवरी 2018 नियत की गई है। केंद्र सरकार और पुरातत्व विभाग को जवाब तेजोमहालय पक्ष के प्रार्थना पत्र पर देना है।
 ताजमहल और तेजोमहालय के चक्कर में केंद्र को देना पड़ेगा भारी जुर्माना

यह प्रार्थना पत्र 25 अक्तूबर को दिया गया था। इसमें कहा गया है कि ताजमहल के बंद पड़े हिस्सों को खुलवाकर उनकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई जाए। इससे यह सच्चाई सामने आएगी कि बंद पड़े हिस्से में भगवान शिव की मूर्ति है या कुछ और।

तेजोमहालय पक्ष के अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ का दावा है कि यह इमारत शिव मंदिर है जिसका नाम तेजोमहालय है। इस पर केंद्र सरकार और पुरातत्व विभाग की ओर से अधिवक्ता विवेक शर्मा और अंजना शर्मा ने जवाब देने के लिए समय मांगा था। कोर्ट ने 16 नवंबर की तारीख नियत की थी।

गृह मंत्रालय के विरुद्ध एक पक्षीय आदेश

इस तारीख पर भी अधिवक्ताओं ने फिर से समय मांग लिया। इस पर कोर्ट ने सात दिसंबर की तारीख नियत कर दी लेकिन इस बार भी दोनों अधिवक्ताओं की ओर से समय मांगे जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया। सिविल जज अभिषेक सिन्हा ने इसी पर 200 रुपये का जुर्माना लगा दिया। जवाब दाखिल करने के लिए चार जनवरी की तारीख नियत की गई है।

इस मामले में केन्द्र सरकार का गृह मंत्रालय भी एक पक्ष है लेकिन उसकी ओर से आज तक एक बार भी न तो कोई कोर्ट में हाजिर हुआ है और अन्य पक्षों के प्रार्थना पत्र पर जवाब प्रस्तुत किया गया। इस पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय के विरुद्ध एक पक्षीय सुनवाई का आदेश पारित कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि गृह मंत्रालय का भविष्य में सुनवाई का अवसर समाप्त हो गया है।

 

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