9 अक्टूबर को है सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या, इस दिन भूलकर भी न करें ये काम वरना उठाना पड़ सकता है नुकसान…

आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या को सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। इस दिन किया गया श्राद्ध पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है। साथ ही अगर कोई श्राद्ध में तिथि विशेष को किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। इस बार यह 9 अक्टूबर, मंगलवार को है। पितृ पक्ष का यह आखिरी दिन होता है ऐसे में इस दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने पर पितृपक्ष का पूरा लाभ मिलता है और तमाम तरह के दोषों से मुक्ति भी मिलती है।

श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन पूरे 16 दिनों तक श्राद्ध कर्म करने वाले व्यक्ति को न तो पान खाना चाहिए और ना ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष के दौरान और खासतौर पर अंतिम दिन दूसरे शहर की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा न तो गुस्सा करना चाहिए।
बिना संकल्प के कभी भी श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता इसलिए श्राद्ध के अंतिम दिन हाथ में अक्षत, चंदन,फूल और तिल लेकर पितरों का तर्पण करें।
श्राद्ध में चना, मसूर, उड़द, सत्तू, मूली, काला जीरा, खीरा, काला नमक, काला उड़द, बासी या अपवित्र फल या अन्न उपयोग नहीं किया जाता।
पितरों की कृपा पाने के लिए श्राद्ध के अंतिम दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराने का खास नियम है। इसके अलावा पितृदोषों से मुक्ति के लिए दान जरूर करना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में तिल और कुशा का होना जरूरी है। साथ ही भोजन बनाने में किसी प्रकार के लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों को तर्पण करते हुए हमेशा आपका मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
श्राद्ध में किसी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही नशे का सेवन करना चाहिए।