तो इसलिए 80 साल पहले चीनी लोगों का मांस भूनकर खाए थे जापानी, सामने आई थी यह बड़ी वजह…

वैसे तो द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 से हुई थी, जो छह सालों बाद सितंबर में ही 1945 में ही खत्म हुआ। लेकिन, दिसंबर (1941) का महीना इस जंग के लिए सबसे खतरनाक साबित हुआ था। क्योंकि, इसी दरमियान पर्ल हॉर्बर और नानजिंग नरसंहार (13 दिसंबर) जैसी बड़ी घटनाएं हुईं। इस दौरान नानजिंग चीन की राजधानी हुआ करती थी। 1937 में ही चीन की जापान से मुठभेड़ शुरू हो गई थी। इसके बाद जापानी सेना ने शंघाई पर कब्जा किया और 13 दिसंबर को चीन की राजधानी नानजिंग पर हमला कर दिया। ये जंग की पहली शुरुआत थी, जब जापान की सेना ने नानजिंग शहर में छह हफ्तों में 3 लाख लोगों की जान ले ली थी। वहीं, करीब 80 हजार महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई थीं। लोगों का मांस तक भूनकर खा गए थे।

जापानी सेना की द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की इस बेरहमी को द्वितीय चीन-जापान विश्वयुद्ध के नाम से जाना जाता है। इसे 20वीं शताब्दी के सबसे बड़े एशियाई युद्ध के तौर पर भी जाना जाता है। ये युद्ध 1937 से 1945 के बीच लड़ा हुआ। इस दौरान नानजिंग चीन की राजधानी हुआ करती थी। 1937 में ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच जंग शुरू हो गई थी। इसके बाद जापान ने चहर और सुईयुनान पर कब्जा कर लिया। हालांकि, शान्सी में चीनी सेना ने जापान का डटकर मुकाबला किया। इनके बाद जापानी सेना ने शंघाई पर कब्जा किया और 13 दिसंबर को चीन की राजधानी नानजिंग पर हमला कर दिया।ये युद्ध की पहली शुरुआत थी, जब जापान की सेना ने नानजिंग शहर में महज छह हफ्तों में 3 लाख लोगों की जान ले ली थी।

चीन की राज्य संग्रह प्रशासन की ओर से पिछले साल जारी दस्तावेज़ में ये भी दावा किया गया है कि युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने चीनी नागरिकों का मांस भी पकाकर खाया था। जापान यहीं नहीं रुका, उसने उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी चीन पर अपना अधिकार कर लिया, लेकिन पश्चिमी और उत्तरी-पश्चिमी हिस्से पर कब्जा जमाने में जापान नाकाम रहा। एक के बाद एक जीत के बाद जापान ने 1941 में पर्ल हार्बर पर हमला कर दिया, जिसके बाद अमेरिका ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। वहीं, सोवियत संघ ने जापान के कब्जे वाले मंचूरिया पर हमला कर दिया। इसके बाद अमेरिका चीन को जापान के खिलाफ युद्ध में मदद पहुंचाने लगा।

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जापान ने किया आत्मसमर्पण

चीन और जापान के बीच का युद्ध अब तक द्वितीय विश्वयुद्ध का हिस्सा बन चुका था और जापान कमजोर पड़ने लगा था। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के बाद जापान में 1945 में अपनी हार मान ली और आत्मसमर्पण कर दिया। चीन का दावा है कि इस युद्ध के दौरान चीन के नागारिकों और सैनिकों समेत कुल साढ़े तीन करोड़ लोग मारे गए थे। वहीं, जापान की रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जापान के 2 लाख सैनिक मारे गए थे। नानजिंग नरसंहार की 80वीं बरसी पर चीन में इससे जुड़ी दुखद यादें ताजा हो गईं। चीन के मुताबिक उस नरसंहार को जापान के सैनिकों ने अंजाम दिया था और यही वजह है कि दोनों देशों के बीच आज भी कटुता बनी हुई है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रार्थना सभा का निरीक्षण किया। पूर्वी शहर में पीड़ितों की प्रतिमाओं वाले स्मारक पर लोग काले कपड़े और जैकेट में सफेद फूल लगाकर आए थे।

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