50 हजार की किश्त लेने के लिए देनी पड़ी 10 हजार की रिश्वत

मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाने वाले गरीबों को 01 लाख रुपए का कर्ज दिया जाता है और 20 हजार रुपए खुद हितग्राही को मिलाने पड़ते हैं। जो 01 लाख रुपए सरकार देती है वह तीन किश्तों में मिलते हैं। पहली किश्त 50, दूसरी 40 और तीसरी 10 हजार रुपए की। 50 हजार की किश्त लेने के लिए देनी पड़ी 10 हजार की रिश्वत

प्रशासन आवास की स्वीकृति तो आसानी से दे देता है, लेकिन स्वीकृति के बाद बैंक से 50 हजार की पहली किश्त लेने के लिए गरीबों की चप्पलें घिस जाती है। कई गरीबों को तो पहली किश्त के लिए तो 10-10 हजार रुपए तक की रिश्वत बांटनी पड़ी तब, गरीब को घर बनाने के लिए पैसा मिल पाया।

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पाण्डोला गांव में 13 गरीबों के घरों पर एसबीआई बैंक ने इसलिए ताले डाल दिए हैं क्योंकि, यह लोग बैंक को किश्त का पैसा नहीं दे पाए। इन 13 में गरीबों का कहना है कि, पहले तो किश्त देने के लिए बैंक से लेकर जनपद और निरीक्षण करने आने वाले कर्मचारियों को घूंस खिलानी पड़ी।

पाण्डोला निवासी महावीर पुत्र रामकिशन सुमन का कहना है कि, जनपद ने आवास स्वीकृत कर दिया, लेकिन बैंक ने पैसों के लिए चार महीने परेशान किया। 50 हजार की पहली किश्त दिलाने के नाम पर सबसे पहले तो जनपद में बैठने वाले कर्मचारी ने 2 हजार रुपए की रिश्वत ली।

इसके बाद गांव में जमीन देखने आया जनपद का इंजीनियर भी 3 हजार रुपए ले गया। अंत में बैंक में फाइल पहुंची तो वहां तैनात एक दलाल ने मैनेजर के नाम से 5 हजार की रिश्वत ली तब, उसके खाते में आवास बनाने के लिए 50 हजार की पहली किश्त आई। महावीर सुमन की तरह पाण्डोला गांव के कई हितग्राही ऐसे हैं जो यह दावा कर रहे हैं कि, 50 हजार की पहली किश्त के लिए 10 हजार और 40 हजार की दूसरी किश्त के लिए 4 से 5 हजार की रिश्वत बांटनी पड़ी है।

अधूरे आवास, उसे पूरा बताकर किश्तें शुरू कीं

गरीबों के लिए बनने वाले आवासों में धांधली का एक मामला यह भी है कि, कई लोगों ने या तो आवास बनाए ही नहीं हैं या फिर अधूरे बनाए हैं, लेकिन घूंस लेकर जनपद के इंजीनियरों ने इन आवासों को पूरा बताकर बैंक से तीनों किश्तों का 1 लाख रुपए हितग्राही को दिलवा दिया है। पांडोला गांव में परिमाल सुमन के आवास पर छत ही नहीं डली। आवास के नाम पर सिर्फ दीवारें खड़ी कर दी हैं और दरवाजा लगा दिया है। बिना छत के इस घर को जनपद के इंजीनियर ने रिकार्ड में पूरा बताकर उसका कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र (सीसी) जारी करवा दी। इसके बाद बैंक ने तीसरी किश्त का पैसा भी हितग्राही को दे दिया। यह आवास अभी भी अधूरा पड़ा है और बैंक ने आवास को पूरा बताकर हितग्राही से किश्तें वसूलना भी शुरू कर दिया है।

चौथे दिन भी नहीं खुले गरीबों के घर के ताले

पाण्डोला गांव में जिन 13 गरीबों के घरों में बैंक ने ताले डाले हैं वह चौथे दिन मंगलवार को भी नहीं खुले। शनिवार को एसबीआई की जैदामंडी ब्रांच ने किश्त का पैसा न चुकाने पर 13 आवासों पर ताले लगा दिए थे। शनिवार से ही कई परिवार घरों के बाहर हो गए हैं। कई परिवारों का ता खाने-पीने का सामान तक इन कमरों में बंद रह गया है।

मुझसे बैंक के दलाल ने मैनेजर के नाम से 5 हजार लिए। निरीक्षण करने आया इंजीनियर 3 हजार ले गया तो, जनपद के बाबू ने भी 2 हजार लिए थें। तब मुझे पहली किश्त मिल पाई। यदि यह रिश्वत न लेते तो घर जल्दी बन जाता और किश्त देने में भी परेशानी नहीं आती।

परिमाल सुमन, हितग्राही, पाण्डोला निवासी

-हितग्राहियों को तत्काल शिकायत करनी चाहिए थी। किसी भी योजना के लाभ के लिए कोई भी कर्मचारी पैसा नहीं मांग सकता। यदि यह हितग्राही उन लोगों की पहचान कर शिकायत करेंगे तो अब भी रिश्वत लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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