400 करोड़ के फ्रॉड केस के मुख्य आरोपी प्रवीण टंडन की जमानत याचिका खारिज

  • अमृतसर. इन्वेस्टमेंट का झांसा देकर किए गए चार सौ करोड़ रुपए के घोटाले में नामजद छेहर्टा निवासी प्रवीण टंडन की जमानत याचिका को अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया। टंडन ने चार जुलाई को अदालत के समक्ष सरंडर किया था और उसके बाद अपने वकील के जरिए जमानत याचिका दायर की थी। आरोपी के खिलाफ यह केस 2016 में दर्ज हुआ था। इससे पहले भी आरोपी की जमानत सुप्रीम कोर्ट तक में रद्द हो चुकी थी।
    400 करोड़ के फ्रॉड केस के मुख्य आरोपी प्रवीण टंडन की जमानत याचिका खारिज
     
    सभी जगह से जमानत रद्द होने के बाद ही टंडन ने खुद को अदालत के समक्ष सरंडर करने में भलाई समझी थी। पीड़ितों की ओर से पेश एडवोकेट सरबजीत सिंह वेरका ने दलील देते हुए कहा कि आम लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है, क्योंकि हरेक रसीद पर टंडन के साइन हैं और वह सभी कंपनियों में भागीदार भी हैं। इसके अलावा वह पुलिस हिरासत में रहते हुए भी फोन कर गवाहों को धमकियां दे रहा था। उस शिकायत पर भी अभी जांच चल रही है। इन्हीं दलीलों के आधार पर ही जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।

    ये भी पढ़े: बेटे को विदेश भेजा था जिंदगी बनाने, लेकिन तुर्की से ताबूत में आया शव

    टंडन पर फ्रॉड में शामिल सभी कंपनियों में भागीदार होने के भी आरोप
    जुलाई 2016 में छेहर्टा थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक छह रीयल इस्टेट कंपनियों मैसर्स आरके इन्वेस्टमेंट, मैसर्स नवरत्न गोल्ड, मैसर्ज नवरत्न रियल इस्टेट, मैसर्स गोबिंद फ्यूचर विजन, मैसर्स फ्यूचर विजन और मैसर्स बिल्डर्स एंड कॉलोनाइज़र के मालिकों ने हजारों लोगों को चेन मेंबरशिप, फिक्स्ड डिपॉजिट, रैकरिंग डिपॉजिट जैसी स्कीमों और प्राॅपर्टी में इन्वेस्टमेंट का लालच देकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी और ठगी की। इन सब कंपनियों में आरोपी की भागीदारी होने के आरोप हैं। जब लोगों को पता चला कि उनके साथ फ्राड हो गया है तो वह सड़कों पर उतर आए थे। अटारी जीटी रोड जाम कर दिया था।
     
    इस मामले में कई नामी लोगों का नाम आ रहा था, जिसके तहत पुलिस भी केस दर्ज करने से गुरेज करती रही। जब लोगों का दबाव बना तो पुलिस ने केस तो दर्ज कर दिया, लेकिन कुछ खास कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद पीड़ित लोगों ने समाजसेवी संस्था पंजाब मानवाधिकार संगठन के साथ संपर्क किया। इस संस्था की ओर से पूरे मामले की पैरवी की गई और आरोपियों की जमानतों को रद्द करवाया था। संगठन की जांच में अकाली पार्षद का नाम सामने आया था। एनजीओ ने 3579 पन्नों की जांच रिपोर्ट को पुलिस के समक्ष पेश की। इसके बाद नंवबर 2016 में एसआईटी गठित की गई, जिसमें चार अन्य के खिलाफ मामला तो दर्ज किया गया, लेकिन पार्षद का नाम निकाल दिया गया। संगठन के जनरल सेक्रेटरी सर्बजीत सिंह वेरका ने बताया कि अब पार्षद के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने लोगों के एफिडेविट के आधार पर पार्षद के खिलाफ केस दर्ज करने व मामला चलाने की मांग की है।
     
     

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button