15,000 टन यूरेनियम का भारत करेगा भंडार, मिलेगी स्वदेशी खदानों से मदद!

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने संसदीय समिति से कहा है कि देश के परमाणु संयंत्रों के वास्ते ईंधन की सुरक्षा आपूर्ति हासिल करने के लिए 15,000 टन यूरेनियम की जरुरत है. संसद के वर्तमान सत्र में पेश की गयी समिति की रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गयी है कि आयातित यूरेनियम पर निर्भरता घटाने के लिए नयी यूरेनियम खानें खोलने के लिये जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने को कहा गया है. 

फिलहाल यूरेनियम के घरेलू उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा झारखंड की जादूगोड़ा खानों से आता है जो अब पुरानी हो गयी हैं और वहां अब यूरेनियम गहराई पर मिलता है. इसके अलावा उसके उत्खनन की ऊंची लागत उसे आयातित यूरेनियम की तुलना में अव्यावहारिक बनाती है.

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जादूगोड़ा खानों के अलावा, यूरेनियम आंध्र प्रदेश की तुम्मलपल्ले खानों से निकाला जाता है. जादूगोड़ा के अलावा मेघालय, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु में भी यूरेनियम के भंडार हैं. भारत में 22 परमाणु विद्युत संयंत्र हैं, जो परमाणु संयंत्र अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी निकाय अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अंतर्गत नहीं हैं, उनमें घरेलू यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाता है. भारत फिलहाल कजाकिस्तान, कनाडा और रूस से यूरेनियम का आयात करता है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘समिति का मानना है कि जहां तक परमाणु संयंत्रों के वास्ते परमाणु ईंधन की सुरक्षा आपूर्ति हासिल करनी है तो डीएई का लक्ष्य आरामदेह स्थिति हासिल करने के लिए 15,000 टन यूरेनियम का भंडार सुनिश्चित करना है.’’ सरकार की योजना एक रणनीतिक यूरेनियम भंडार कायम करना भी है ताकि उसके परमाणु रिएक्टरों के लिए यूरेनियम की कमी न हो.

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