

महिला ने अक्टूबर 2013 में कोर्ट के सामने कहा कि प्रेमी रमेशकुमार वर्मा, बच्ची और उसका डीएनए टेस्ट कराया जाए। कोर्ट के आदेश पर तीनों के ब्लड सैंपल लिए गए और हैदराबाद की लैब में जांच के लिए भेजे गए। सुखलिया निवासी वर्मा अभी देवास स्थित एक बीमा कंपनी में हेडक्लर्क हैं। प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश आरपी वर्मा ने दोपहर करीब डेढ़ बजे दोनों पक्षकारों व उनके वकीलों के समक्ष 12 पन्नों की इस रिपोर्ट का सीलबंद लिफाफा खोला। 44 वर्षीय महिला के प्रेमी रहे 45 वर्षीय रमेशकुमार से कहा- रिपोर्ट के मुताबिक बेटी के पिता तो आप ही हैं। इसके बाद दोनों पक्षों को रिपोर्ट देखने के लिए दे दी।
रिपोर्ट पर आपत्ति, वैज्ञानिक के क्रॉस के लिए अर्जी : रमेशकुमार वर्मा के वकील ने कोर्ट में कहा कि रिपोर्ट झूठी है। हम लैब में जांच करने वाले वैज्ञानिक का प्रति परीक्षण (क्रॉस) करना चाहते हैं कि उन्होंने किस आधार पर रिपोर्ट बनाई। इस बारे में वकील ने कोर्ट में आवेदन दिया है। इस पर भी 3 नवंबर को सुनवाई होगी।
एनडी तिवारी के बाद देश का दूसरा मामला
अधिवक्ता मनीष यादव के मुताबिक हैदराबाद की लैब में अब तक जितने भी डीएनए टेस्ट हुए, उसमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के बाद यह दूसरा मामला है, जो महिला के पक्ष में गया है। महिला के भरण-पोषण संबंधी मामले में 3 नवंबर को सुनवाई होगी।
2000 में हुआ था जन्म
सुखलिया निवासी रमेशकुमार और यहीं की निवासी महिला के बीच 1992 में प्रेम संबंध हो गए और वे लिव इन में रहने लगे। वर्मा ने महिला को सामाजिक रीति-रिवाज का हवाला देकर 1994 में दूसरी शादी कर ली। उनमें अनुबंध हुआ कि वह उसे पत्नी की तरह रखेगा और भरण-पोषण देगा। 2000 में बेटी ने जन्म लिया। कुछ समय खर्चा देने के बाद 2012 से बंद कर दिया। फिर महिला ने फैमिली कोर्ट में केस लगाया। 2013 में कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का आदेश दिया।
October 4, 2015
2 minutes read