भारत के 12 शहर 2100 तक आधा फीट से लेकर पैने तीन फीट समुद्री जल में समा सकते हैं: नासा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने सी लेवल टूल बनाया है। इसका आधार इंकइंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की हाल ही में आई रिपोर्ट को रखा गया है। इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि 2100 तक दुनिया को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान अगर कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में 4.4 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो सकता है। यानी अगले दो दशकों में ही तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। ऐसे में तापमान बढ़ेगा तो यह बात जाहिर है कि ग्लेशियर पिघलेंगे और उसका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही का कारण बनेगा।

नासा के प्रोजेक्शन टूल में दुनियाभर का नक्शा बनाकर दिखाया गया है कि किस साल दुनिया के किस हिस्से में कितना समुद्री जलस्तर बढ़ेगा।  बता दें कि आइपीसीसी 5 से 7 साल में दुनियाभर में पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट पेश करता है। इस साल पेश की गई रिपोर्ट के आंकड़े बेहद ही भयावह हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब नासा ने पूरी दुनिया में अगले कुछ दशकों में बढ़ने वाले जलस्तर को मापने का नया टूल बनाया है। इसके माध्यम से दुनिया के उन सभी देशों के समुद्री जलस्तर को मापा जा सकता है, जिनके पास तट हैं।

इस रिपोर्ट में बताया गया है भारत के 12 शहर 2100 तक आधा फीट से लेकर पैने तीन फीट समुद्री जल में समा सकते हैं। इसकी पीछे की वजह बताते हुए कहा गया है कि इस दौरान गर्मी बढ़ेगी तो समुद्र का जलस्तर भी बढ़ेगा।

इस दौरान सबसे ज्यादा खतरा, भावनगर, कोच्चि, मोरमुगाओ, ओखा, तूतीकोरिन,पारादीप, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम है। परेशानी की बात यह है कि इन सभी तटीय इलाकों में कई स्थानों पर प्रमुख बंदरगाह है। यहां पर मुख्य तौर पर मछलियों और तेल का कारोबार होता है। ऐसे में समुद्री जलस्तर बढ़ने से आर्थिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।

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