पूरे देश में मचा हड़कंप: फर्जी आदेश वायरल शिक्षामित्रों का मानदेय…….
समायोजित शिक्षामित्रों का मानदेय 17000 रुपये तय करने से संबंधित फर्जी आदेश व्हाट्सएप ग्रुप पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। मंगलवार दोपहर वायरल हुए इस आदेश में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के फर्जी हस्ताक्षर हैं, जो कि समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को निर्देशित है। मामला सचिव तक भी पहुंचा, तब जाकर उनको इस फर्जी आदेश की जानकारी हुई। सचिव ने इस मामले में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर भेजी है।
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उस दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षा मित्रों से उनके हित में निर्णय लेने के लिए 15 दिन का वक्त मांगा था और शिक्षण कार्य पूर्व की भांति करते रहने की अपील की थी। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद शिक्षामित्र विद्यालयों में विद्यार्थियों को पढ़ाने में भी जुट गए लेकिन मंगलवार को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के हस्ताक्षर से जारी आदेश शिक्षा मित्रों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
उक्त के परिदृश्य में प्रदेश के समस्त बीएसए को आदेशित किया जाता है कि वे अपने जनपद के सभी समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में उक्त मानदेय पर अविलम्ब कार्यभार ग्रहण करवा कर आख्या शासन को प्रेषित करें। और यदि आपके जनपद का कोई समायोजित शिक्षामित्र उक्त मानदेय पर अपना कार्यभार सात कार्यदिवसों के भीतर ग्रहण नहीं करता है, तो उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाए।
सक्रिय हुए शिक्षामित्र संगठनों के पदाधिकारियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के नाम से जो पत्र सोशल मीडिया पर शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर वायरल हो रहा है वह फर्जी है।
न्यायालय द्वारा समायोजन रद्द करने के बाद आंदोलित हुए शिक्षामित्र पिछले कुछ दिनों से शांत थे। सीएम ने उन्हें आश्वस्त किया था। कि सरकार उनके हितों को लेकर गंभीर है। इस बीच मंगलवार को सोशल मीडिया पर सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के नाम से एक पत्र वायरल होने लगा। इसमें उल्लेख था कि समायोजित शिक्षामित्रों को सरकार 17 हजार रुपये मानदेय देने को तैयार है।
उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ जिलाध्यक्ष केके दुबे ने बताया कि इसके बारे में अफसरों से बात करने पर मामले पूरी तरह फर्जी होने की बात पता चली। उन्होंने कहा, शिक्षामित्रों को सरकार पर भरोसा और फैसले का इंतजार है।
मालूम हो कि, सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। जिसके बाद आंदोलित शिक्षामित्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 अगस्त तक इस समस्या का समाधान निकालने का भरोसा दिया था। इसी बीच मंगलवार को किसी ने एक मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
इस मैसेज से शिक्षामित्रों में खलबली मच गई। वह इसकी सत्यता जानने के लिए अधिकारियों को फोन करने लगे। तस्दीक करने पर पता चला कि इस आदेश का वायरल हो रहा मैसेज पूरी तरीके से फर्जी है। शासन द्वारा इस प्रकार का अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बीएसए अजय कुमार का कहना है कि, शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर जो मैसेज सोशल मीडिया पर चल रहा है वह फर्जी है। शासन की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं आया है।