हर दिन होता है यह अभूतपूर्व समय! लेकिन कब?

प्रभात का समय सुंदरता का होता है. धरती पर हमारे अस्तित्व के समस्त चमकीले रंग इस समय प्रकट हो जाते हैं. हममें से जो लोग किसी समुद्र तट या द्वीप पर छुट्टियां मनाने के लिए गए हों, उन्होंने देखा होगा कि वहां किस तरह लोग सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए बाहर कुर्सियां डालकर बैठ जाते हैं.

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हर दिन होता है यह अभूतपूर्व समय! लेकिन कब?
 
यह दिन का वो अभूतपूर्व समय होता है, जबकि सूर्य विभिन्न सुंदर रंगों से आकाश को सजा देता है. परंतु इस भौतिक संसार के सूर्योदय और सूर्यास्त मात्र कुछ क्षणों के लिए ही होते हैं. पूरे विश्व में सूर्योदय के समय को बहुत ही विशेष माना जाता है.
 
कविता की भाषा में कहें तो यह समय आशा का प्रतीक होता है, क्योंकि प्रभात या प्रात:काल का आना अंधकार के अंत को दर्शाता है. आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे लोगों के लिए सूर्योदय का समय खुशियों और आनंद का प्रतीक है.
 
अध्यात्म की भाषा में कहें तो प्रभात उस समय का प्रतीक है जब हमारी आत्मा प्रभु-प्रेम की जगमग किरणों में नहा उठती है. प्रभात हमारी आत्मा की उस नवीन अवस्था को दर्शाता है जब उसे पहली बार दिव्य प्रकाश और परमानंद का अनुभव होता है.
 
आंतरिक ज्योति और श्रुति पर ध्यान टिकाने वाले एक ऐसे आध्यात्मिक प्रभात के लिए प्रार्थना करते हैं जो कभी खत्म न हो. ऐसे लोगों के लिए प्रभात वो समय होता है जब आत्मा ध्यानाभ्यास करके प्रभु के दिव्य प्रेम सेरोशन हो जाती है. वे चाहते हैं कि वे हमेशा इस अनंत सुंदरता और अथाह प्रकाश की अवस्था में ही रहें.
 
उनके लिए तो केवल वही प्रभात सदा-सदा रहने वाली होती है जिसमें वे प्रभु के प्रेम का अनुभव कर सकें. दूसरी हरेक अवस्था उनके लिए फीकी और बेरौनक होती है. प्रभु के प्रेमी जानते हैं कि ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में जाने का क्या महत्व है. इसलिए वो अक्सर अंतर में जाने के लिए ध्यान का सहारा लेते हैं,क्योंकि उन्हें पता है कि इसके बिना कोई उपाय नहीं है.
 
जब हम शांत अवस्था में बैठते हैं, अपने विचारों को स्थिर करके अंतर में ध्यान टिकाते हैं, तो हमें अनेक खूबसूरत रूहानी नजारों का अनुभव होता है. अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में हमें चुनाव करना होता है। हम बाहरी संसार में ध्यान लगायें या आंतरिक प्रकाश पर ध्यान लगायें? केवल बाहरी दुनिया में ही ध्यान लगाए रखने से हम अपने आपको सीमित कर लेते हैं. परंतु आंतरिक प्रकाश पर ध्यान टिकाने से हम इस दुनिया का ज्ञान भी पा लेते हैं और अगली दुनिया का भी.
 
ज्ञान के अलावा हम अनंत खुशियों और आनंद का ऐसा खजाना भी पा लेते हैं, जो हर समय हमारे साथ रहता है. प्रभु के प्रेमी जब ध्यान लगाते हैं,तो वो बाहरी संसार में ध्यान न लगाकर आंतरिक संसार में ध्यान लगाते हैं, क्योंकि यहीं पर ध्यान लगाने से उन्हें वह सब कुछ मिल जाता है, जो वह चाहते हैं.
 
जिस तरह इस भौतिक संसार का प्रभात कम समय के लिए ही होता है, उसी तरह इस संसार का कोई प्रेम भी स्थाई नहीं होता,इसलिए अनंत प्रभात की खोज में अपना समय व्यतीत करना ही समझदारी है. केवल बाहरी दुनिया में ही ध्यान लगाए रखने से हम अपने आप को सीमित कर लेते हैं.
 
परंतु आंतरिक प्रकाश पर ध्यान टिकाने से हम इस दुनिया का ज्ञान भी पा लेते हैं और अगली दुनिया का भी. हम अनंत खुशियों और आनंद का ऐसा खजाना भी पा लेते हैं, जोहर समय हमारे साथ रहता है. हमारे सबसे करीबी और अच्छे रिश्ते भी एक होते हैं.

ज्योतिर्मय प्रभात का कभी अंत नहीं होता 

हमारे सबसे करीबी और अच्छे रिश्ते भी एक न एक दिन खत्म हो जाते हैं, क्योंकि हमारा शरीर सदा-सदा के लिए कायम नहीं रहता. जो लोग सही मायनों में समझदार होते हैं, वे अपना समय अनंत प्रभात की खोज करने में ही व्यतीत करते हैं, प्रभु-प्रीतम के साथ सदा-सदा का मिलन चाहते हैं. वे ही उस ज्योतिर्मय प्रभात का अनुभव कर पाते हैं, जिसका कभी अंत नहीं होता.

 

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