मिट गया रहस्य, ऐसे उड़ता था पुष्पक विमान!

पुष्पक विमान का जिक्र सबसे पहले वाल्मीकि रामायण में मिलता है। संभव है दैत्यों और मनुष्यों द्वारा उपयोग किया गया पहला विमान ‘पुष्पक विमान’ को ही माना जाता है।वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने पुष्पक विमान का निर्माण कर ब्रह्मा जी को भेंट किया था। ब्रह्मा जी ने यह विमान लोकपाल कुबेर को दे दिया। कुबेर से ही इस विमान को रावण ने छीना था।

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मिट गया रहस्य, ऐसे उड़ता था पुष्पक विमान!

इस विमान की विशेषता यह थी कि इसका स्वामी जो मन में विचार करता था, उसी का यह अनुसरण करता था। पौराणिक संदर्भों में विज्ञान की खोज करने वाले विशेषज्ञों की मानें तो प्राचीन भारतीय विज्ञान, आधुनिक विज्ञान की तुलना में अधिक संपन्न था।
 
रावण का अंत कर लंका विजय करने के बाद भगवान श्रीराम पुष्पक विमान से ही अयोध्या लौटे थे। प्रभु श्रीराम ने उपयोग के बाद पूजन कर यह दिव्य विमान वापस कुबेर को लौटा दिया था।
 
वहीं, अन्य पौराणिक धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण ऋषि अंगिरा द्वारा किया गया और इसका निर्माण एवं साज-सज्जा देव-शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा की गई थी।
 
ऋग्वेद में लगभग 200 से अधिक बार विमानों के बारे में उल्लेख मिलता है। इसमें कई प्रकार के विमान जैसे तीन मंजिला, त्रिभुज आकार के एवं तीन पहिए वाले हुआ करते थे।
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