बड़ा खुलासा : पूरे भारत में ये धुआं स्मॉग नहीं, पाकिस्तान ने छोड़ी जहरीली गैस

नई दिल्ली : पिछले दिनों पाकिस्तानी अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि इंडिया  के पंजाब और आसपास के इलाकों में क्रॉप बर्निंग की वजह से पाकिस्तान को भी स्मॉग का सामना करना पड़ रहा है।

बड़ा खुलासा : पूरे भारत में ये धुआं स्मॉग नहीं, पाकिस्तान ने छोड़ी जहरीली गैस
वहां के मौसम विभाग के अधिकारियों ने भारत में खेती की प्रक्रिया को दोषी ठहराते हुए कहा था कि पड़ोसी देश की वजह से उनके यहां भी प्रदूषण चरम सीमा पर पहुंच गया है और अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है।
जबकि भारतीय आंकड़े कुछ और ही बता रहे हैं। चंडीगढ़ के पीजीआई स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉ रविंद्र खैवाल की मानें तो नासा की सैटलाइट तस्वीरें पाकिस्तान के दावों को खारिज करती हैं। ‘हवाओं के रुख को देखें तो इस्लामाबाद से आ रही हवाओं की क्वॉलिटी इतनी ज्यादा खराब है कि उनकी वजह से हमारा वातावरण भी प्रभावित हो रहा है।
नासा की तस्वीरें दिखाती हैं कि हमारे पंजाब की तरफ काफी मात्रा में क्रॉप बर्निंग हुई है। ये स्मॉग पाकिस्तान की तरफ से आया है। उनकी तरफ से चल रही खराब हवा भी हमारी मुश्किलें बढ़ा रही है।’
डॉ. खैवाल कहते हैं, ‘हमारी छानबीन यह बताती है कि स्मॉग वाली हवा पाकिस्तान से शुरू होकर भारत की तरफ आ रही है। वो लोग हमारे यहां प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं ना की हम उनके यहां।’ भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि मौजूदा समय में हवा की दिशा उत्तर पश्चिम है जो पाकिस्तान से भारत की ओर बह रही है।
हालांकि पीजीआई की छानबीन में इस बात का पता चला है कि पिछले 2 सप्ताह में पंजाब में स्मॉग में 30 फीसदी की कमी हुई है। डॉ. रविंद्र खैवाल ने कहा, ‘हमने पाया कि अक्टूबर के बाद से हरियाणा में चारा जलाए जाने की कोई तस्वीर नहीं मिली है। साथ ही पंजाब में भी पिछले 24 घंटे में चारा जलाए जाने की घटनाओं में बड़ी मात्रा में कमी देखी गई है।’
डॉ. खैवाल जो पिछले एक दशक से वातावरण में प्रदूषण की समस्या पर काम कर रहे हैं वो बताते हैं कि हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में वायु प्रदूषण अचानक बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और इसकी सबसे बड़ी वजह है पंजाब और हरियाणा में चारे को जलाना। लेकिन डॉ. खैवाल की मानें तो वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ किसानों को जिम्मेदार मानकर उनको दंड देना सही नहीं है। इसकी जगह हमें वाहनों और उद्योगों से निकलने वाली जहरीली हवा पर चौबीसों घंटे निगरानी रखनी होगी ताकि हम इस समस्या को बेहतर तरीके से समझ सकें।
 

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