स्मृति ईरानी के मंत्रालय ने जेएनयू को रैंकिंग में दिया तीसरा स्थान, कन्हैया ने बताया ‘बेतुका’

एजेन्सी/  kanhaiya-kumar-presser_650x400_41457090871नई दिल्ली: देशद्रोह के आरोपों में पिछले दिनों गिरफ्तार किए गए जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार कहा है कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जेएनयू को रैंकिंग में तीसरा स्‍थान दिया जाना ‘बेतुका’ है।
 
कन्हैया ने कहा, ‘यह बेतुका लगता है क्‍योंकि एक तरफ तो मानव संसाधन विकास मंत्रलाय हमारी स्‍वायत्तता पर हमला करता है और दूसरी तरफ हम उसी को लेकर रैंकिंग में तीसरे नंबर पर भी हैं।’

गौरतलब है कि हाल में विवादों के केन्द्र में रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं हैदराबाद विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में शीर्ष पर हैं जबकि आईआईटी मद्रास एवं आईआईएम बेंगलुरु प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थानों में अव्वल हैं। सरकार द्वारा सोमवार को जारी अभी तक की पहली घरेलू रैकिंग में इन संस्थानों को शीर्ष स्थान दिया गया है।

प्रौद्योगिकी संस्थानों में आईआईटी मुंबई को दूसरा स्थान मिला है जबकि इसके बाद आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी दिल्ली एवं आईआईटी कानपुर का स्थान है। मणिपाल कॉलेज आफ फार्मेसी देश के फार्मेसी शिक्षण संस्थानों में सबसे आगे है।

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा जारी राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा (एनआईआरएफ) में चार श्रेणी के 3500 विभिन्न संस्थाओं को शामिल किया गया है।

विश्वविद्यालय श्रेणी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु (जो एक मानद विश्वविद्यालय है) को शीर्ष रैकिंग वाला संस्थान माना गया है जबकि रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी) मुंबई का स्थान इसके बाद है।

विवादों के कारण पिछले दिनों सुखिर्यों में आया जेएनयू केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अग्रणी स्थान पर है जबकि रोहित वेमुला की अत्महत्या के कारण विरोध प्रदर्शनों के केन्द्र में रहा हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय चौथे स्थान पर है।

विशेषज्ञों की समिति ने इस रैंकिंग के लिए जिन कारकों को चुना उनमें छात्रों, पूर्व छात्रों, अभिभावकों, कर्मचारियों एवं जनता के बीच धारणा प्रमुख है। शिक्षण एवं अध्ययन संसाधन, शिक्षा परिणाम, अनुसंधान आदि अन्य कारक हैं।

स्मृति ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि इस बात का प्रयास है कि रैकिंग प्रणाली को वाषिर्क आधार पर निकाला जाए तथा और श्रेणियों को जोड़ा जाए ताकि छात्र दाखिला लेने से पहले संस्थान के बारे में जान सके।

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