सरकार ने ये दी सफाई- ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई बच्चों की मौत, प्रिंसिपल हुए निलंबित

गोरखपुर में दिल दहला देने वाली घटना हुई है. गोरखपुर का सरकारी अस्पताल बच्चों के लिए कब्रिस्तान बन गया. यहां अस्पताल की लापरवाही ने कई बच्चों को मौत की नींद सुला दिया.

#Gorakhpur: अब तक 32 की मौत, अभी भी कार्यवाही से बच रही योगी सरकार

एक-एक कर 33 मासूमों ने अस्पताल के अंदर दम तोड़ दिया. ये घटना गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की है, जहां मरने वालों में 13 बच्चे एनएनयू वार्ड और 17 इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे.

बताया जा रहा है कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई गुरुवार की रात से ठप कर दी थी. खबरों के मुताबिक पिछले 5 दिनों में 63 बच्चों की मौत हो चुकी है.

हालांकि अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन की कमी से इंकार किया है. सरकार ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही जांच कमेटी का गठन किया गया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मौके की गहन जांच कर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्य प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट मांगी है. इसके अलावा उन्होंने राज्य मंत्री (स्वास्थ्य) अनुप्रिया पटेल को तुरंत अस्पताल का दौरा करने का निर्देश दिया है. 

वहीं गोरखपुर आए स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ये घटना गंभीर है. हमारी सरकार संवेदनशील है. मुख्यमंत्री ने हमसे बात की. किसी ने ऑक्सीजन सप्लाई के बारे में नहीं बताया. अगस्त में हर साल बच्चों की मौत होती है.

अस्पताल में नाजुक बच्चे आते हैं. साल 2014 में 567 बच्चों की मौत हुई. सीएम के दौरे पर गैस सप्लाई को लेकर बात नहीं हुई. अलग-अलग कारणों से बच्चों की मौत हुई. गैस की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई. ऑक्सीजन सप्लाई का मुद्दा देख रहे हैं.

ऑक्सीजन गैस सिलेंडर शाम साढ़े 7 बजे से रात साढ़े 11 बजे तक चले. 11:30 बजे से 01:30 बजे तक सप्लाई नहीं हुई, लेकिन इस दौरान किसी बच्चे की मौत नहीं हुई. ऑक्सीजन की अब कोई कमी नहीं है. व्यवस्था ये रहती है कि लो हो तो गैस सिलेंडर लगे रहते हैं तो उसकी व्यवस्था तुरंत शुरू हो गई थी.

दरअसल अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और शुक्रवार को सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. हॉस्पिटल मैनेजमेंट की बड़ी लापरवाही के चलते  33 बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. अस्‍पताल में ऑक्सीज़न सप्‍लाई करने वाली फर्म का 69 लाख रुपये का भुगतान बकाया था.

ऑक्सीजन की आपूर्ति से निपटने के विभाग ने अधिकारियों को 3 और 10 अगस्त को कमी के बारे में सूचित किया था. पुष्पा सेल ने भुगतान नहीं होने पर आपूर्ति को बंद कर दिया था.

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मामले को तूल पकड़ने के बाद सरकार की ओर से इस मामले पर सफाई आई है. जारी बयान में कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है. मेडिकल कॉलेज में भर्ती 7 मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से 11 अगस्त को मृत्यु हुई. घटना की मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दे दिए गए हैं. वहीं डीएम ने 5 सदस्यीय टीम गठिक की जो कि आज अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

घटना की जानकारी होते ही जिलाधिकारी ने तत्काल मेडिकल कॉलेज पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया तथा निर्देश दिए कि चिकित्सा व्यवस्था में किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए. जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने मेडिकल कालेज के निरीक्षण के दौरान बताया कि बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन सिलेंडर की कमी नहीं है. मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा बताया गया है कि लगभग 175 आक्सीजन सिलेण्डर उपलब्ध हैं. निरीक्षण के दौरान सांसद कमलेश पासवान और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित रहे.

जिसके चलते गुरुवार शाम को फर्म ने अस्‍पताल में लिक्विड ऑक्‍सीजन की आपूर्ति ठप कर दी.  गुरुवार से ही मेडिकल कालेज में जम्‍बो सिलेंडरों से गैस की आपूर्ति की जा रही है. बीआरडी मेडिकल कालेज में दो साल पहले लिक्विड ऑक्‍सीजन का प्‍लांट लगाया गया था. इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड सहित करीब तीन सौ मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्‍सीजन दी जाती है.

शुक्रवार सुबह सात बजे ऑक्‍सीजन पूरी तरह खत्‍म हो जाने के चलते इंसेफेलाइटिस वार्ड में करीब दो घंटे तक मरीजों को अम्‍बू बैग के सहारे रहना पड़ा. 12 बजे कुछ सिलेंडर पहुंचे लेकिन इंसेफेलाइटिस इमरजेंसी वार्ड में अभी भी सिलेंडरों की क्राइसिस बनी हुई है. इंसेफेलाइटिस के वार्ड नंबर 100 में हर डेढ़ घंटे में 16 सिलेंडर खर्च हो रहे हैं, चारों तरफ अफरातफरी मची हुई है.

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