आखिर क्यों स्मार्टफोन में पॉर्न देखने वालों को सावधान हो जाना चाहिए? आपको पता होनी चाहिए…

एंड्रॉयड फोन में अगर आप पॉर्न साइट्स देख रहें हैं तो खतरा सिर्फ इस बात का नहीं की आपकी जानकारी लीक हो जाएगी बल्कि इस बात का भी है कि आपके पैसे बेफालतू में खर्च हो जाएंगे.

एंड्रॉयड स्मार्टफोन

एंड्रॉयड का एनक्रिप्शन iOS के मुकाबले काफी वीक होता है और इसलिए एंड्रॉयड यूजर्स के लिए डेटा लीक होने का खतरा ज्यादा होता है. अगर आपने  पर्सनल डिटेल, बैंकिंग डिटेल और अन्य इंफॉर्मेशन आदि सेव करके रखी हैं तो पॉर्न साइट्स से लीक होने का खतरा होता है. एक रिसर्च के मुताबिक मोबाइल डिवाइसेस में एक चौथाई मालवेयर पॉर्न साइट्स की वजह से आते हैं. इसका मतलब एंड्रॉयड स्मार्टफोन में पॉर्न देखना पीसी में देखने से ज्यादा खतरनाक होता है.

एंड्रॉयड स्मार्टफोन में रिस्क ज्यादा है

तो क्या-क्या हो सकता है आपके स्मार्टफोन में पॉर्न देखने के कारण..

1. पैसा हाय रे ये पैसा…

देखिए, सबसे पहली बात ये है कि पॉर्न साइट्स पर अगर आपने सब्सक्रिप्शन ले रखा है तो पेमेंट ऑप्शन बहुत ध्यान से देखिए. एंड्रॉयड फोन से पेमेंट करते समय रैनसमवेयर का खतरा सबसे ज्यादा पॉर्न वेबसाइट्स पर ही होता है. पॉर्न साइट्स पर ऑनलाइन पेमेंट सबसे ज्यादा ट्रैक की जाती है.

इसके अलावा, अगर आप किसी भी तरह की पेमेंट नहीं भी कर रहे हैं तो भी VAS सब्सक्रिप्शन एक्टिव हो सकते हैं. पॉर्न वेबसाइट्स पर कई अलग-अलग विंडोज खुल जाती हैं और आपको पता भी नहीं चलता कि कब ऐसा कोई सब्सक्रिप्शन आपने जोड़ लिया है. इसका चार्ज 5 रुपए से 30 रुपए तक होता है और कम कीमत होने के कारण यूजर्स को पता भी नहीं चलता है इसके बारे में. अगर कोई ऐसा सब्सक्रिप्शन आ गया है तो STOP लिखकर 155223 पर मैसेज कर दीजिए. ये बंद हो जाएगा.

2. उफ्फ ये स्मार्टफोन पॉर्न…

कितनी बार ऐसा हुआ है कि आपने कोई वेबपेज अपने स्मार्टफोन में खोला है और अचानक फोन वाइब्रेट होता है और सामने मैसेज आता है कि आपके फोन में वायरस है इसे खत्म करने के लिए अभी फलाना एप डाउनलोड करें. चलिए ऐसा नहीं भी हुआ, लेकिन कितनी बार ऐसा हुआ है कि किसी अडल्ट साइट को विजिट करते समय कोई ऐसा एप सामने आ गया हो जो दिखने में तो किसी जानेपहचाने एप की तरह लगा हो, लेकिन असल में उसे डाउनलोड करने के बाद फोन में कुछ गड़बड़ी आ गई हो.

ये होते हैं स्मार्टफोन पॉर्न टिकर्स. ये ऐसे किसी एप की तरह आते हैं जो जाना पहचाना लगे, लेकिन वायरस या मालवेयर का सबसे आसान तरीका होते हैं. ये ध्यान देने वाली बात है कि पॉर्न साइट्स पर किसी भी विज्ञापन पर भरोसा करने से आपको आगे चलकर तकलीफ हो सकती है. इस तरह से भी डिवाइस में रैनसमवेयर आ सकते हैं.

3. सबकुछ एक साथ है…

पीसी और स्मार्टफोन में पॉर्न देखने में एक अलग बात ये भी होती है कि पीसी में सबकुछ अलग-अलग विंडो (या विंडो टैब) में खुले होते हैं जिससे प्राइवेसी रिस्क थोड़ा कम हो जाता है. एंड्रॉयड का जो ईकोसिस्टम है वो इंटिग्रेटेड है. आसान शब्दों में हम एंड्रॉयड स्मार्टफोन में कुछ भी ब्राउज करें वो एक दूसरे से कनेक्ट होता है. आपने एक दिन अगर मिंत्रा पर कोई ड्रेस पसंद कर ली और उसे विशलिस्ट में डाल दिया तो अगली बार क्रोम पर कोई साइट ब्राउज करते समय किसी अन्य वेबसाइट के एड में वही ड्रेस और उसके जैसी अन्य चीजें दिखेंगी. अब देखिए ये तो आम बात है, लेकिन अगर यही बात पॉर्न साइट्स के साथ हो तो यकीनन आपको किसी के सामने कोई साइट खोलने में झेपना पड़ेगा.

एंड्रॉयड स्मार्टफोनस्मार्टफोन यूजर्स को ध्यान रखना चाहिए कि वो कौन सी साइट ब्राउज कर रहे हैं

4. एंड्रॉयड और मीडिया प्लेयर….

एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स और पीसी में एक अंतर ये भी है कि बड़ी पॉर्न साइट्स को छोड़कर अगर आप कोई छोटी साइट विजिट करते हैं तो कई तरह की परमीशन देनी पड़ती है. ऐसी साइट्स जिनके पास अपना प्लेयर नहीं होता वो एंड्रॉयड के लिए कस्टम प्लेयर का इस्तेमाल करती हैं. ऐसे में आपको एक साइट से दूसरी साइट पर ट्रांसफर किया जाता है और इससे आपकी पर्सनल जानकारी लीक होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. इनमें सबसे ज्यादा बैंकिंग डिटेल्स लीक हो सकती हैं.

5. ईमेल का चक्कर…

एंड्रॉयड स्मार्टफोन में जीमेल लॉगइन हमेशा होता है. आपने चाहें कुछ भी ब्राउज किया हो उससे जुड़े विज्ञापन के ईमेल और स्पैम ईमेल आते ही रहते हैं. ऐसे में पॉर्न वेबसाइट्स से जुड़े स्पैमर एक्टिव हो सकते हैं.

6. नहीं है प्राइवेट…

सैमसंग स्मार्टफोन में एक फीचर होता है सैमसंग Knox. इस फीचर के कारण अगर स्मार्टफोन में सेटिंग की गई है तो हर साइट एक प्राइवेट कंटेनर में खुलेगी. इससे प्राइवेसी का ख्याल रखा जाता है. कुछ ऐसा ही इन्कॉग्निटो मोड में होता है. हालांकि, बाकी स्मार्टफोन्स में अभी ऐसा फीचर आना शुरू नहीं हुआ है.

7. लोकेशन सर्विस…

जानकारी लीक करने का सबसे पहला हथियार होता है लोकेशन सर्विस. अगर गूगल नाओ या फेसबुक मैसेंजर या मैप्स किसी भी कारण से आपने लोकेशन सर्विस कभी इनेबल की हैं तो लेकेशन के आधार पर कार्ड्स (नोटिफिकेशन) आपके पास आते रहेंगे. अगर आप स्मार्टफोन में पॉर्न देखते समय लोकेशन सर्विस ऑन किए हुए हैं तो इससे प्राइवेसी को बहुत बड़ा रिस्क है.

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