सऊदी हमले में ईरान का हाथ होने के है पुख्ता सुबूत: अमेरिका

सऊदी तेल संयंत्रों पर हमले में ईरान का हाथ होने की बातें पुख्ता होती नजर आ रही हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में तनाव भी गहराता जा रहा है। इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि संयंत्रों पर हमले में ड्रोन के साथ क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था। इस से स्पष्ट होता है कि यह मामला तुल पकड़ सकता है। हालांकि अधिकारियों ने इस संबंध में कोई प्रमाण नहीं दिया और ना ही यह बताया कि किस आधार पर अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इस निष्कर्ष पर पहुंच रही हैं।
इस बीच, सऊदी अरब ने भी कहा है कि हमले में ईरान का हाथ होने के पुख्ता सुबूत मिले हैं और इलको जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। सऊदी अरब की तेल कंपनी अरैमको की अबकैक स्थित ऑयल प्रोसेसिंग फैसिलिटी और खुरैश स्थित बड़ी ऑयल फील्ड को शनिवार को ड्रोन से निशाना बनाया गया था। इन ड्रोन हमलों की जिम्मेदारी ईरान समर्थित यमन के हाउती विद्रोहियों ने ली है।
हालांकि अमेरिका का कहना है कि सऊदी अरब पर हमलों में ईरान का हाथ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा है कि अमेरिका जानता है कि अपराधी कौन है। बस इस मामले में सुबूत मिलने का इंतजार किया जा रहा है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका हर कदम के लिए तैयार है। सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर एक अमेरिकी अधिकारी ने दावा किया है कि हमले जिस ओर से किए गए हैं, वह यमन नहीं बल्कि ईरान की ओर संकेत करता है। यमन में विद्रोहियों से लड़ रही गठबंधन सेना ने भी शुरुआती जांच में यही कहा है कि हमले ईरान की ओर से हुए हैं।
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उधर ईरान ने हमले में हाथ होने के आरोपों को फिर खारिज किया है। ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ ने कहा कि अमेरिका यह स्वीकार नहीं कर पा रहा है कि उसके पास अरबों डॉलर के हथियार होने के बावजूद यमन के विद्रोही पलटवार कैसे कर रहे हैं। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका व सऊदी अरब को क्षेत्र में अस्थिरता और टकराव का की वजह भी बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी रिहायशी इलाके के बजाय औद्योगिक क्षेत्र में हमला कर हाउती विद्रोहियों ने सऊदी अरब को यमन में गठबंधन सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ चेतावनी दी है।
ट्रंप ने ईरान पर और सख्त प्रतिबंध लगाने की बात कही है। विस्तृत जानकारी दिए बगैर ट्रंप ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों इस संबंध में निर्देश दे दिया है। इस बीच, लगातार उग्र दिख रहे ट्रंप का रुख हमले को लेकर फिर नरम पड़ा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता। वह खाड़ी व यूरोपीय देशों से चर्चा कर रहे हैं। दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सऊदी के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से बात कर सहयोग का भरोसा दिलाया है। वहीं, सऊदी प्रिंस ने दक्षिण कोरिया से भी मदद मांगी है। उन्होंने दक्षिण कोरिया से कहा है कि वह सऊदी की हवाई सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने में सहायता करे।
यूएन की ओर से कार्रवाई चाहता है अमेरिका अमेरिका इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से कार्रवाई चाहता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘सऊदी अरब पर हमला हुआ है। इसका वैश्विक असर है। सुरक्षा परिषद का गठन अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने के लिए हुआ है और यह हमला इस पैमाने पर खरा उतरता है।’ इस बीच खबर है कि अमेरिका की ओर से वीजा स्वीकृत नहीं होने के कारण ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और विदेश मंत्री जावद जरीफ न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से दूर रह सकते हैं।