उत्‍तराखंड के लिए रावत बने बजरंगबली, निकले संजीवनी बूटी की तलाश में

देहरादून। उत्‍तराखंड सरकार पौराणिक कथा में वर्णित संजीवनी बूटी की तलाश कर रही है। माना जाता है कि इस बूटी से सभी बीमारियों को दूर किया जा सकता है।दरअसल, रामायण में एक संदर्भ में कहा गया है कि जब मेघनाद ने शक्‍ितबाण मारा था, तो लक्ष्‍मण मूर्छित हो गए थे। उनकी जान बचाने का एक ही तरीका था, हिमालय में पाई जाने वाली संजीवनी बूटी।

उत्‍तराखंड के लिए रावत बने बजरंगबली, निकले संजीवनी बूटी की तलाश में

संजीवनी बूटी से होगा उत्‍तराखंड का कल्याण

ये वही संजीवनी बूटी है, जिसका उल्लेख हिंदुओं के आराध्य देव हनुमान के संदर्भ में आता है। कहा जाता है कि संजीवनी बूटी की तलाश में वह पूरा पर्वत उखाड़कर भगवान राम के सम्मुख ले गए थे, ताकि लक्ष्मण की मूर्छा को दूर किया जा सके। अब उत्‍तराखंड सरकार इस बूटी को खोज निकालना चाहती है।

आधुनिक युग के आयुर्वेद विशेषज्ञ भगवान हनुमान द्वारा लाए उस पहाड़ को खोजने की कोशिश कर रहे हैं,‍ जिसमें संजीवनी बूटी हो। माना जाता है कि इस बूटी से सभी तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है।

आयुर्वेद, योग एंड नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा, और होम्‍योपैथी (आयुष) विभाग ने इसके लिए एक समिति गठित की है। यह हिमालयी राज्‍य उस बूटी का पता करने के लिए आर्थिक रूप से मदद करेगा, जबकि केंद्र सरकार ने इस काम के लिए पैसे देने से इंकार कर दिया है।

राज्य के आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि हम इस शोध परियोजना पर खुद काम करेंगे। दुनियाभर में जड़ी-बूटियों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में हम उस पौराणिक पौधे का पता करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें जिंदगी बचाने वाले गुण मौजूद हैं।

इस समिति में आयुर्वेद विशेषज्ञ शामिल हैं, जो अगस्‍त से अपना काम शुरू करेंगे और इसके बाद अपनी रिपोर्ट देंगे। माना जाता है कि उत्‍तराखंड में जड़ी बूटियों का खजाना है और वन विभाग में 100 से अधिक चिकित्‍सकीय गुणों वाले पौधे हैं।

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