शास्त्रों के अनुसार जानें संभोग करने का सही समय, इसके बाद करने वालों का जीवन रहता है ऐसा हाल

शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में रति क्रिया को एक अवश्यंभावी अनुष्ठान बताया गया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी यह होने वाली संतान का निर्धारण भी रतिक्रिया के समय से होता है। ऐसे में हम यह जानना बेहद आवश्यक होता है कि रतिक्रिया की समय विशेष पर की जाए ताकि से लाभ मिल सके।
कब बनायें सम्बन्ध:
रति क्रिया का मतलब होता है शारीरिक संबंध बनाना। रति क्रिया के लिए रात्रि का प्रथम पहर उतम होता है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रथम पहर के बाद राक्षस गण पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकलते हैं रति क्रियाउसी दौरान जो रतिक्रिया की गई हो उससे उत्पन्न होने वाली संतान भी राक्षसों के ही समान गुण आने की प्रबल संभावना होती है।

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मानसिक एवं आर्थिक कष्ट की सम्भावना:
रात्रि का पहला पहर घड़ी के अनुसार 12:00 बजे तक रहता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय को रतिक्रिया के उचित समय माना जाता है। इसलिए यदि इसके अलावा शेष किसी अन्य पहर में रतिक्रिया की जाती है तो परिणाम स्वरुप शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक कष्ट सामने आते हैं।
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