रोजाना सूर्योदय से पूर्व करे ये एक काम, यश और वैभव चूमेगा आपके कदम !
कूर्म पुराण में बताया गया है, जो व्यक्ति प्रभात के समय स्नान कर लेता है, उसके पास लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी, बुरा दौर और डरावने स्वप्न कभी नहीं आते। इसके पीछे अध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। ऐसे नहाने से सिर और शरीर के ऊपरी भागों की गर्मी पैरों के माध्यम से निकल जाती है। शास्त्रों में चार प्रकार के स्नान का वर्णन मिलता है-
ब्रह्म स्नान – जो लोग सुबह लगभग 4-5 बजे भगवान का नाम लेते हुए स्नान करते हैं उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने से जीवन में सुख व खुशियों का समावेश होता है।
देव स्नान – सूर्योदय के उपरांत स्नान करने वाले विभिन्न नदियों के नामों का जाप करें ऐसा स्नान देव स्नान कहलाता है। ऐसे स्नान से जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
यौगिक स्नान – योग के माध्यम से अपने इष्ट का चिंतन और ध्यान करते हुए जो स्नान किया जाता है वह यौगिक स्नान कहलाता है। यौगिक स्नान को आत्मतीर्थ भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा स्नान तीर्थ यात्रा करने के समान होता है।
दानव स्नान – चाय अथवा भोजन करने के उपरांत स्नान करने को दानव स्नान कहा जाता है। जिससे की जीवन में घोर विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।