राष्ट्रपति शासन पर केंद्र की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

UTTARAKHAND-1458290405एजेन्सी/उत्तराखंड में जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन लगा केंद्र परेशानी में फंस गया है। हालंकि केंद्र अपने फैसले को सही करार दे रहा है, लेकिन संख्या गणित उसे परेशानी में डाल सकता है। केंद्र की परेशानी यह है कि उसके पास न तो उत्तराखंड में और ना ही राज्यसभा में बहुमत है। संविधान विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाने के आदेश पर संसद के दोनों सदनों से मोहर लगवानी होगी, या इससे बचने के लिए वहां पर सरकार का गठन करना होगा। मौजूदा हालात में केंद्र व भाजपा कुछ कर पाने की स्थिति में दिख नहीं रही है।

क्योंकि राज्यसभा में उसके पास बहुमत नहीं है। 23 अप्रेल से फिर शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में उसे राष्ट्रपति शासन की अनुमति दोनों सदनों से लेनी होगी। संविधान के जानकार लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी कहते हैं कि पहली बार होगा कि राज्यसभा में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश वाला प्रस्ताव अटक सकता है। इससे पहले कोई और उदाहरण सामने नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो सरकार के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी। इस परेशानी से बचने के लिए केंद्र सरकार के पास एक ही रास्ता बचता है कि वह 23 अप्रेल से पहले उत्तराखंड में सरकार बना बहुमत साबित करे। यदि वह ऐसा नहीं कर पाती है तो वहां पर संकट खड़ा हो जाएगा। आचारी कहते हैं कि विधानसभा भंग कराने के लिए भी केंद्र को अब संसद के दोनों सदनों से सहमति लेनी होगी।

केंद्र पर बढ़ेगा दबाव

उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर कांग्रेस ने कानूनी लड़ाई लड़ केंद्र पर दबाव बढाने की रणनीति अपनाई है। इसलिए उसने मामले को कोर्ट में तो चुनौती दी है। साथ ही अपने बाकी राज्यों में भी उसने सजगता बरतनी शुरू कर दी है। इसी क्रम में हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। कांग्रेस की रणनीति है कि उत्तराखंड के मामले में कानूनी रूप से लड़ाई लड़ केंद्र पर दबाव बनाया जाए जिससे कि उसके अन्य राज्यो में तोड़ फोड़ न हो।

कांग्रेस टकराव के मूड में

इस बीच कांग्रेस ने बोम्मई केस का हवाला देते हुए हाई कोर्ट में अपील की है। बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि बहुमत का फैसला सदन में ही होगा। ऐसी स्थिति में जानकार मान रहे हैं कि 9 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले पर कोर्ट की तरफ से स्टे मिलने को लेकर संशय है। यदि स्टे मिल भी गया तो वोटिंग के अधिकार से वंचित रखा जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए राह आसान हो जाएगी। कांग्रेस ने आज 34 विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड करा भाजपा को परेशानी मे डाल दिया है। क्योंकि भाजपा की संख्या कुल 28 ही है। नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद वहां पर 62 सदस्य रह जाते हैं। भाजपा के पास सरकार बनाने का एक ही रास्ता है कि वह कांग्रेस को सर्मथन दे रहे निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों में सेंध लगाए। स्वाभाविक है कि इससे वहां पर विधायकों की खरीद फरोख्त होगी।

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