राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ही फैसला करे तो बेहतर: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने मंदिर मुद्दे को फिर से गरमा दिया है. सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे की सुनवाई तेज किए जाने की याचिका पर सुनवाई चल रही है

जिसके दौरान सबसे बड़ी अदालत ने दोनों पक्षों को कोर्ट के बाहर ही मुद्दे को सुलझाने का सुझाव दिया है.सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में जरूरत पड़ने पर कोर्ट मध्यस्थता को भी तैयार है.कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से सधी प्रतिक्रिया आई है. बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फिरंगी महली ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव की कद्र करते हैं, लेकिन चाहते हैं कि इस बारे में फैसला अदालत ही सुनाए.

सियासी दलों की वजह से खत्म हुई गुंजाइश

फिरंगी महली का कहना है कि ‘हिंदुस्तान का मुसलमान कभी भी राम मंदिर के खिलाफ नहीं रहा है और न ही अभी है. इस मुद्दे को तो सियासी दलों ने संवेदनशील बना दिया है. पहले भी राम मंदिर मुद्दे के समाधान को लेकर कोशिशें हुई हैं लेकिन सियासी दलों की दखलंदाजी ने तमाम कोशिशों को खत्म कर दिया.’हालाकि, फिरंगी महली मानते हैं कि इस तरह की बातों से कोई खास फायदा नहीं होगा और अयोध्या मुद्दे का समाधान नहीं हो पाएगा. लिहाजा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बात को मानता है कि सुप्रीम कोर्ट ही इस बारे में आखिरी फैसला करे तो बेहतर है.मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य फिरंगी महली का कहना है कि पहले भी इस तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं और कोर्ट से बाहर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लोगों ने बैठकर इसका समाधान ढ़ूंढ़ने की कोशिश की है. लेकिन इसका कोई हल निकल नहीं पाया.

बोर्ड इस पर करेगा विचार

फिरंगी महली कहते हैं कि पहले भी हाईकोर्ट का फैसला आ चुका है, लेकिन किसी पक्ष ने हाई कोर्ट के फैसले को नहीं माना था और उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे.हालाकि, फिरंगी महली आगे ये भी जोड़ते हैं कि इस मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बैठकर विचार करेगा. फिर आगे की रणनीति तय होगी कि कोर्ट के सुझाव पर क्या करना है.केंद्र में मोदी सरकार के बाद प्रदेश में योगी सरकार बन चुकी है. पहले भी बीजेपी के कई नेता राम मंदिर बनाने को लेकर अपनी मांग सामने रखते आए हैं. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब एक बार फिर इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मोदी-योगी सरकार की जोड़ी जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर का रास्ता प्रशस्त करेगी.बीजेपी के नेता और सुप्रीम कोर्ट में मंदिर मुद्दे की सुनवाई पर याचिकाकर्ता सुब्रमण्यण स्वामी ने तो अब सुझाव दिया है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि की जगह पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो और सरयू नदी के उस पार मस्जिद बना दी जाए.फिरंगी महली ने इस मुद्दे पर कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि बीजेपी सरकार सबकी भावनाओं का ख्याल रखेगी.

विचार एक जैसे नहीं हैं

उधर, बाबरी मस्जिद कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने भी कहा है कि कोर्ट के बाहर इस तरह का फैसला संभव नहीं है. साथ ही बीजेपी नेता और मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे विनय कटियार ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है. कटियार ने कहा है कि सभी पक्ष इस बात को मानेंगे ऐसी उम्मीद है.लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जफरयाब जिलानी के बयानों से इस मामले में अदालत से बाहर जाकर बातचीत की गुंजाइश कम ही दिख रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button