सचिन की 7% और रेखा की 5% अटेंडेंस, अब दोनों की राज्यसभा से छुट्टी की मिली 3 अर्जियां

नई दिल्ली.क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर और एक्ट्रेस रेखा का राज्यसभा टेन्योर करीब 6 महीने ही बचा है। अटेंडेंस के मामले में दोनों काफी पीछे हैं। अब तक साढ़े 5 साल में सचिन अपर हाउस की सिर्फ 7% और रेखा 5% बैठकों में शामिल हुईं। इस दौरान सचिन ने 22 तो रेखा ने कोई सवाल नहीं पूछा। खास बात ये है कि इतनी बार गैर हाजिर रहने के बावजूद सचिन ने दो और रेखा ने एक बार ही राज्यसभा में छुट्टी की अर्जी दी।राज्यसभा में सचिन की 7% और रेखा की 5% अटेंडेंस, दोनों की छुट्टी की मिली 3 अर्जियां

राज्यसभा में एक शब्द नहीं बोलीं रेखा

– जानकारी के मुताबिक, 24 अप्रैल 2012 से अगस्त, 2017 के बीच राज्यसभा की कुल 373 बैठकें हुईं। सचिन सिर्फ 25 में शामिल हुए। उनका अटेंडेंस रेट 7% है। वहीं, केवल 18 बैठकों में आईं रेखा का अटेंडेंस रेट 5% है।

– राज्यसभा के आखिरी सेशन (अगस्त, 2017) तक सचिन ने 22 सवाल पूछे, लेकिन रेखा ने साढ़े 5 साल में सदन में एक शब्द भी नहीं बोला।

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राज्यसभा में कैसी रही परफॉरमेंस

# सचिन तेंडुलकर:अब तक सचिन ने सिर्फ दो बार सदन में छुट्टी के लिए अर्जी दी। पहली बार मार्च, 2013 में जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया था। दूसरी बार अगस्त, 2014 में फैमिली और प्रोफेशनल वजहों से अर्जी लगाई थी।

– तेंडुलकर की आखिरी लीव एप्लीकेशन के बाद से सदन की 211 बैठकें हुईं। सचिन इनमें से 22 में ही शामिल हुए हैं, लेकिन छुट्टी के लिए अर्जी नहीं दी।

– राज्यसभा सांसद बनने के बाद सचिन 6 सेशन में एक-एक दिन, 5 में 2-2 दिन और 3 में 3-3 दिन शामिल हुए। सदन के 8 सेशन वे मौजूद नहीं रहे।

# रेखा:रेखा की इकलौती लीव एप्लीकेशन फरवरी, 2013 में आई थी और इसमें उन्होंने शूटिंग की वजह बताई थी। इसके बाद से सदन की 295 बैठकें हो चुकी हैं और वे सिर्फ 15 में शामिल हुईं।

– अप्रैल, 2014 में राज्यसभा में मनोनीत किए जाने के बाद से सदन के 22 सेशन हुए हैं। रेखा 18 में केवल एक दिन इसकी बैठकों में शामिल हुईं। बाकी 4 सेशन में उनकी अटेंडेंट जीरो रही।

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क्या कहता है नियम?

– नियम के मुताबिक, अगर कोई सांसद लगातार 60 दिन तक बिना इजाजत के सदन से बाहर रहता है, तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है। लेकिन सचिन और रेखा दोनों हर सेशन में एक-दो दिन शामिल होते रहे और कभी भी 60 दिनों तक लगातार गैर मौजूद नहीं रहे, इसलिए वे मेंबरशिप बचाने में कामयाब रहे हैं।

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