रंगीलो राजस्थान: किसी भी अजूबे से कम नहीं यहां के 200 गांवों के नाम

राजस्थान में यदि आपसे कोई पूछे कि बघेरा देखने चलोगे तो डरिएगा नहीं…कोई कहे मैं रोजाना शादी में जाता हूं तो चौंकिएगा नहीं…या कोई पूछे कि गंवार देखने चलोगे तो हक्के—बक्के मत होना…! क्योंकि ये केवल सवाल नहीं बल्कि यहां के गांवों के नाम है।
रंगीलो राजस्थान: किसी भी अजूबे से कम नहीं यहां के 200 गांवों के नाम
दरअसल, रेत की धरती केवल संस्कृति से ही ओत—प्रोत नहीं है बल्कि कई तरह के अजूबे नाम भी यहां सुनने को मिलेंगे। ये नाम केवल एक व्यक्ति के नहीं, बल्कि पूरे गांव के हैं जो इसकी पहचान पूरे देश में अलग बनाने में काफी है। फलों से लेकर रीति—रिवाज, रिश्तों से लेकर सपनों तक और यहां तक कि जानवर एवं आमजन की बोलचाल की भाषा के शब्दों पर यहां गांवों के नाम आसानी से मिल सकते हैं। आपने तो स्मार्ट मोबाइल आने के बाद 12 जीबी सुना होगा, लेकिन यहां तो गांव का नाम ही ऐसा है जो मोबाइल युग से पहले का है। पेश है राजस्थान के विभिन्न जिलों में करीब आठ हजार से ज्यादा गांवों में से 200 गांवों के नाम जो आपको किसी अजूबे से कम नहीं लगेंगे।

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शुरुआत करते हैं अजमेर जिले से, जहां आसन, झांक, नाड़ी, छंदुदरा, चाचियावास, ढाल, घूघरा, गोला, जेठाना, न्यारां, थल, बघेरा, चीतीवास, पारा गांव के नाम है। अलवर में जहाडू, मिठियावास, चांदपुर गांव। बांसवाडा में चाचाकोटा, मूलिया, बारी, दानपुर, नादिया, कुण्डल, आसन, बोरी, मोर, घाटा, सेंड नानी, हाण्डी गांव। बारां में बैंगना, कोयला, खटका, मूंडक्या, फलिया, बंजारी, पछाड़ और रांई गांव। बाड़मेर में बोला, रोली, छोटु, झांक, चिड़िया, सन्तरा, डोली, भाटा, सड़ा, राखी, गूंगा, ढोंक, आंटिया, बोली, एकल।

भरतपुर की बात करें तो यहां अजान, पाई, पल्ला, ऊंदरा, नाम, मई, ऊंच जैसे गांवों के नाम आपको आकर्षित करते हैं। भीलवाड़ा में कटार, रोपा, मंशा, कोट, भोली, दहीमथा गांव। बीकानेर में सूई, केला, रोड़ा, दावा गांव। बूंदी में उमर, मरा, डोरा, तीरथ गांव। चित्तौड़गढ़ में टाई, रायता, शादी गांव। चूरू में लोहा, ओदी, मछरिया और डूंगरपुर में गोल, शरम, कुआं, बोरी, गंजी, माल, पीठ गांव।

यहां मोबाइल की मेमोरी के नाम पर हैं गांव

राजस्थान

गंगानगर में तो आपको स्मार्टफोन के मेमोरी के रूप में गांव देखने को मिलेंगे। यहां गांवों के नाम में कालिया, कोनी, कोठा, पक्की, बगीचा, ठण्डी, 5 टीके, 12 जीबी, 17 जीबी, 24 जीबी, 28 जीबी, 29 जीबी, 41 जीबी, 42 जीबी, 48 जीबी, 16 बीबी, 19 बीबी, 23 बीबी, 35 बीबी, 37 जीजी, कमीनपुरा और ढाबा शामिल है। जयपुर के गांव भी किसी से कम नहीं हैं। यहां झरना, झाग, सेवा, आंधी, महंगी, पापड़, ताला, लाली, बोबास, रसीली, साली, पापड़, दण्ड और देवता नाम से गांव आपको देखने को मिलेंगे।

जालौर में चूरा, लेटा,  नून, ऊण, कूड़ा, कोरा, बाली, राह, तीखी, थांवला, कोड़, खारा गांव। झुंझुनूं में  रवा, टीबा, लोटिया, जहाज, नारी, सारी, लूणा, कांट, टाई, बाय गांव। जोधपुर में डोली, भावी, चौढा, उस्तरा, भेड़, तापू, बाप, आऊ, मोटाई, जोड़, छीला, गड़ा, सांई। करौली में घोंसला, डांडा, जमूरा, सोप गांव। कोटा में जुल्मी, भौंरा, रेल, तोरण, हींगी गांव। पाली में टुकड़ा, रास, बूसी, डरी, बोया, नाना, आना, मादा, झूंठा गांव।

उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले में तो आड़, चरी, शकरकन्द और बोरी नाम गांवों के हैं। राजसमन्द में गवांर, कोयल, आत्मा गांव। सवाईमाधोपुर में पढ़ाना, झोंपड़ा, डाबर और भूखा गांव। सीकर में भगेगा, चला, कांकरा, कुली, जाना, सेवा, दायरा, नानी, शिश्यु, धर्मशाला गांव। टोंक में लावा और घास गांव। उदयपुर की बात करें तो घोड़ी से लेकर ढोल तक गांवों के नाम है। साथ ही यहां सोम, डाल, काट, जूड़ा, नाई, काया, बड़ी और कविता नाम से भी गांव हैं।

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