योगी सरकार ने दी शिक्षकों की तबादला नीति को मंजूरी, देखें- यूपी कैबिनेट के बड़े फैसले
नीति में ऐसे शिक्षक जिनके पति या पत्नी सैनिक या अर्द्धसैनिक बल में कार्यरत हैं एवं इनकी तैनाती सीमा अथवा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में है उन्हें मनचाहे महाविद्यालयों में तैनाती में वरीयता दी जाएगी। इसके अलावा पति-पत्नी दोनों राजकीय महाविद्यालय की सेवा में हैं तो उन्हें भी तबादले में वरीयता दी जाएगी। पति एवं पत्नी गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, एड्स, किडनी फेल्योर से ग्रसित हैं तो उन्हें भी यथासंभव अनुरोध के अनुसार तैनाती दी जाएगी।
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जिलों को तीन श्रेणी में बांटा गया है। इनमें पहली श्रेणी महानगरों में स्थित महाविद्यालयों की है। दूसरी क्षेणी में बी क्लास के जिले आते हैं। तीसरी श्रेणी में ऐसे जिलों के महाविद्यालय रखे गए हैं जो सुदूर क्षेत्रों में आते हैं।
पोर्टल पर किसानों द्वारा विभिन्न बैंकों से लिए गए कर्ज की जानकारी होगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी पात्र लाभार्थियों का चयन करकेएक लाख रुपये तक की रकम संबंधित बैंकों को उपलब्ध कराएगी।
वेब पोर्टल किसानों के लिए प्रमाण पत्र भी जेनरेट करेगा, जिसमें कर्ज का पूरा ब्योरा होगा। अगर किसी किसान को लगता है कि वह कर्जमाफी का पात्र है, तो वह वेब पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत कर सकेगा।
जिलाधिकारी इन शिकायतों का निपटारा करेंगे। कर्जमाफी की प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में तथा मंडल स्तर पर कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी होगी।
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत 9,70,108 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए 4656.5184 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा करने के लिए ही सरकार ने हुड़को से कर्ज लेने का फैसला किया है। इससे संबंधित ग्राम्य विकास विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पीएमएवाई (ग्रामीण) के तहत वर्ष 2016-17 और 2017-18 में 9 लाख 70 हजार 108 मकान बनाने के लक्ष्य पर आने वाले खर्च के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए ही सरकार कर्ज लेने जा रही है।
कैबिनेट में यह भी तय हुआ है कि लोन के लिए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आवास विकास परिषद कोई काउंटर गारंटी नहीं देगी, बल्कि इसके लिए सरकार की ओर से शासकीय गारंटी दी जाएगी। इस योजना में अभी तक 6 लाख 37 हजार लोग पंजीकरण करा चुके हैं।
प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 20 लाख शहरी बीपीएल परिवार हैं, जिन्हें इस फैसले का लाभ मिलेगा।
कैबिनेट ने रायबरेली और फिरोजाबाद में 400 केवी के बिजली उपकेंद्र बनाने का फैसला भी किया है। सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि ‘सबको बिजली’ योजना के तहत यह निर्णय किया गया है।
रायबरेली में उपकेंद्र बनाने में 375.28 करोड़ रुपये और फिरोजाबाद में 268 करोड़ रुपये लागत आएगी। 70 फीसदी राशि बतौर ऋण जुटाई जाएगी, जबकि 30 फीसदी राशि अंश पूजी होगी। कार्यदायी संस्था तय होने के 30 महीने के अंदर काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सबको बिजली देने का वादा अक्टूबर 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, प्रशिक्षण के लिए प्रवेश हर साल जुलाई और जनवरी में दिया जाएगा। केंद्र सरकार की अधिकृत संस्था नीलिट से मान्यता प्राप्त कार्यरत संस्थाओं द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी आवेदन पत्रों के आधार पर लाभार्थियों का चयन ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर करेंगे।
लाभार्थियों के अपने अंश की राशि जमा करने पर शेष राशि की प्रतिपूर्ति विभाग सीधे संस्था को करेगा। ओ लेवल में 15 हजार रुपये और ट्रिपल सी कोर्स में 3500 रुपये प्रति प्रशिक्षु अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए वित्त वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार पर तीन करोड़ रुपये अतिरिक्त व्ययभार पड़ेगा। ओ लेवल-तथा सीसीसी कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना (द्वितीय संशोधन) नियमावली-2017 को शैक्षणिक सत्र 2017-18 से ही लागू किया जाएगा।
ओ लेवल कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना नियमावली वर्ष 2007 से लागू है। वर्ष 2016 में इसमें कुछ संशोधन किए गए थे। योजना केतहत इंटरमीडिएट या उससे उच्च शिक्षा प्राप्त ऐसे बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है, जिनकी उम्र 18-35 वर्ष हो। एक लाख रुपये तक सालाना आय वाले योजना का लाभ ले सकते हैं।
इसमें किसानों की कर्जमाफी और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के भुगतान की व्यवस्था के अलावा लोक कल्याण संकल्प पत्र में शामिल प्राथमिकताओं को भी शामिल किया गया है।
कैबिनेट निर्णय- 7, 6 से 23 जुलाई तक होगा बजट सत्र
कैबिनेट में विधानसभा का बजट सत्र बुलाए जाने पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बजट सत्र 6 से 23 जुलाई तक चलाने पर विचार-विमर्श हुआ, पर इस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को अधिकृत कर दिया गया।
21 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस तय करने के निर्देश दिए थे। इस बाबत जल्द ही एक नियमावली जारी कर दी जाएगी। विकास निधि के नोडल अधिकारी सीडीओ होंगे। योजना में 25 लाख से ज्यादा के कोई भी काम स्वीकृत नहीं किए जा सकेंगे।
एनजीओ, मल्टी स्टेट सहकारी समितियों और निजी ठेकेदारों से ये काम नहीं करवाए जा सकते। कैबिनेट ने यह भी फैसला किया कि विधानमंडल सदस्य ऐसी किसी भी संस्था को विकास निधि का राशि नहीं दे सकेंगे, जिसके सदस्य या पदाधिकारी वे स्वयं या उनके परिवार के सदस्य होंगे।
यहां बता दें कि वित्त वर्ष में प्रत्येक विधानमंडल सदस्य के लिए 1.5 करोड़ रुपये की निधि निर्धारित है। इसमें से वे 25 लाख रुपये मेडिकल सुविधाओं के लिए भी दे सकते हैं। विधानमंडल क्षेत्र विकास निधि योजना वर्ष 1997-98 में शुरू की गई थी।
पावर फार ऑल के एजेंडे के तहत अगले साल से पूरे प्रदेश में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए रायबरेली व फिरोजाबाद में 400 केवी उपकेंद्र व उससे संबंधित लाइनों के निर्माण का फैसला किया गया है।
फिरोजाबाद में उपकेंद्र व लाइनों के निर्माण पर 268.01 करोड़ तथा रायबरेली में उपकेंद्र व लाइनों के निर्माण पर 375.28 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। कैनिबेट ने इसे अनुमोदित कर दिया। ट्रांसमिशन कार्पोरेशन दोनों उपकेंद्रों व उससे संबंधित लाइनों का निर्माण 30 माह में पूरा करेगा।
इससे राज्य सरकार को अगले तीन वर्षों में लगभग 67.19 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत होगी। सोसाइटी के नियंत्रण निकाय एवं कार्यकारी निकाय पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण होगा। इसमें ट्रेड यूनियनों एवं श्रमिक संघों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
इससे बीमांकित व उनके आश्रितों को जो कि समाज के गरीब लोग या श्रमिक हैं, उन्हें त्वरित चिकित्सा लाभ की सुविधा उपलब्ध होगी। राज्य बीमा मेडिकल सेवा सोसाएटी के गठन के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम, नई दिल्ली की ओर से 06 जनवरी 2016 को पत्र लिखा गया था।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की तबादला नीति में पहले चरण में सरप्लस शिक्षक, शिक्षिकाओं का ही समायोजन किया जाएगा। जिन शिक्षकों की आयु 30 जून को 58 वर्ष की होगी, उन्हें भी सरप्लस नहीं माना जाएगा। इनके अतिरिक्त पति या पत्नी दोनों के शासकीय सेवा में एक ही जिले में कार्यरत हैं, उनको यदि उसी जिले में समायोजित नहीं करना संभव नहीं होगा तो वे भी सरप्लस नहीं माने जाएंगे। सरप्लस शिक्षकों को समायोजन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन के बाद ही उन्हें राजकीय हाईस्कूल या इंटर कॉलेज के रिक्त पदों पर विषयवार समायोजित एवं स्थानांतरित किया जाएगा।
तीन जोन गठित होंगे
राजकीय इंटर कॉलेजों को जिला मुख्यालय या तहसील मुख्यालय से दूरी के आधार पर शिक्षकों की तैनाती के लिए तीन जोन गठित किए जाएंगे।
जोन 1- जिले की नगरीय सीमा अथवा जिला मुख्यालय से 08 किलोमीटर दूरी दोनों में से जो अधिक हो।
जोन 2-तहसील मुख्यालय से 02 किलोमीटर की दूरी तक।
जोन 3 -जोन एक और जोन 2 में शामिल नहीं होने वाले क्षेत्र।