उ. प्र. चुनाव 2017: राहुल-अखिलेश के मुस्लिम-यादव समीकरण की पीएम नरेंद्र मोदी ने निकाली काट!

यूपी में एक तरफ रविवार को थर्ड फेज की पोलिंग चल रही थी तो दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी फतेहपुर में रैली कर रहे थे। उनकी निशाने पर सीधे तौर पर राहुल और अखिलेश रहे। उन्होंने अपने भाषण में एक बार भी बीएसपी का नाम नहीं लिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मोदी ने इशारों-इशारों में विरोधियों पर ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का आरोप लगा बीजेपी का परंपरागत दांव खेल दिया है। हालांकि प्रधानमंत्री ने सीधे-सीधे ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ शब्द का इस्तेमाल तो नहीं किया लेकिन वह श्मशान और कब्रिस्तान, रमजान और दिवाली की बात छेड़कर बेहद सावधानी से हिंदुत्व कार्ड खेलते नजर आएउ. प्र. चुनाव 2017: राहुल-अखिलेश के मुस्लिम-यादव समीकरण की पीएम नरेंद्र मोदी ने निकाली काट!
पोलराइजेशन का खेल?
फतेहपुर में मोदी ने धर्म विशेष का पुराना अजेंडा साफ कर दिया। वह MY (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के उलट काम कर रहे हैं। पूरे एक घंटे के भाषण में मोदी ने कहा, ‘गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। सरकारों को भेदभाव रहित होना चाहिए। अगर रमजान में बिजली रहती है तो दिवाली पर भी बिजली आनी चाहिए।’ पॉलिटिकल एनालिस्ट मनोज त्रिपाठी के अनुसार, सब कुछ साफ है। यूपी चुनावों की बागडोर मोदी ने अपने हाथ में ले ली है।
पार्टी को लग रहा है कि कि मोदी फैक्टर काम कर रहा है। इस कारण मोदी ने बीजेपी के परंपरागत धर्म विशेष के वोटर्स को अपने साथ जोड़ने का दांव खुलकर खेल दिया है। वह समाजवादी पार्टी के MY समीकरण से इतर दलित, कुर्मी और ब्राह्मण वोटर्स के बीच पूरी संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसकी एक और वजह पूर्वांचल और बुंदेलखंड में काफी सीटों पर यादव जाति का प्रभावी होना है। यहां चुनाव चौथे फेज से शुरू होगा। पूर्वांचल में MY वोटर्स साथ आ जाएं तो इनका वोट शेयर करीब 30 पर्सेंट होता है। बुंदेलखंड में भी कुछ ऐसा ही हाल है। ऐसे में कन्नौज के बाद फतेहपुर से दिया गया यह मेसेज दूर तक जाएगा।
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किसान-गरीब अजेंडे में
चौथे फेज में जिन इलाकों में चुनाव है, उनमें किसान बहुल बुंदेलखंड क्षेत्र और फतेहपुर जैसे जिले हैं। कर्ज से दबे किसान और गरीबी यहां एक बड़ा मुद्दा है। कर्जमाफी और गरीबी का दर्द और दलित जैसी बातें कहकर उन्होंने किसानों और गरीबों की संवदेनाओं पर हाथ रखने की कोशिश की है। जमीन पर कब्जों की भी उन्होंने बात की। जो पूरे क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है।

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बख्शने के मूड में नहीं
त्रिपाठी कहते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी कन्नौज, आजमगढ़ और मैनपुरी जैसे समाजवादी किले में रैलियां करने नहीं गए थे। इस बार वह उन छोटे-छोटे जिलों को रैलियों के लिए चुन रहे हैं, जहां बीजेपी पिछले कुछ साल में बहुत प्रभावी नहीं रही है। कन्नौज के बाद मोदी ने हरदोई और बाराबंकी में भी रैली की थी। यहां भी वह MY फैक्टर से उलट जमीन तलाश रहे हैं।

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